क्या लाठी के बल सरकार चलाना चाहते है नीतीश !

-विष्णुदेव मंडल-

विष्णु देव मंडल

पटना में 30 अप्रैल 2003 को जब बिहार के सत्ताधारी पार्टी राष्ट्रीय जनतादल ने लाठी में तेल पिलावन रैली का आयोजन किया था तब बिहार के अलग-अलग जिलों से बसों में भरकर राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकर्ता लालटेन और लाठियों के साथ पटना पहुंच रहे थे। इस आयोजन से पटना के व्यवसायी और छोटे-मोटे दुकानदार इतने घबरा गए थे कि उन्होंने दुकान खोलना भी मुनासिब नहीं समझा। लाठी में तेल पिलावन रैली के डर से बिहार के स्कूलों में माताएं अपने बच्चों को पढ़ने नहीं भेजी थी कि क्या जाने यह लाठी कब कहां बरस जाएं।
बहरहाल महागठबंधन की सरकार ने लाठी तंत्र को फिर से बिहार में बहाली करने का मन बना लिया है। इसका पुख्ता सबूत बिहार सरकार के मंत्री जितेंद्र कुमार राय के फेसबुक पोस्ट से जाहिर होता है। राष्ट्रीय जनतादल के नेता बिहार सरकार के मंत्री जितेंद्र राय लिखते हैं। हमने बदला ले लिया। इसी तरह 2021 में एनडीए सरकार में हमारे नेताओं और कार्यकर्ताओं को सड़कों पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया था। हमने सुनियोजित योजना के तहत बदला ले लिया। उन्होंने तेजस्वी यादव को संबोधित करते हुए लिखा जिस तरह आप अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को ख्याल रखते हैं हमने आपकी भावनाओं के कद्र करते हुए भाजपा से बदला ले लिया है। जय राजद जय तेजस्वी।
ऐसा नहीं कि यह पोस्ट सिर्फ राष्ट्रीय जनता दल के मंत्री का है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पत्रकारों को संबोधित करते हुए कह रहे थे कि अभी तो भाजपा का ऑपरेशन शुरू ही हुआ है। हम लोग अभी एकजुट हो रहे हैं। समय आने पर हम ऐसा कर देंगे कि भाजपा का नामोनिशान मिट जाएगा। उनकी वाणी में अहंकार की झलक थी। कमोबेश जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार आदि नेताओं के बोल में भी इस बात का पछतावा नहीं दिखता कि 13 जुलाई को पटना की सड़कों पर जो घटित हुआ वह लोकतंत्र के हिसाब से ठीक नहीं था। यह बदले की राजनीति से बिहार को कुछ हासिल होने वाला नहीं है। भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन कहते हैं लगता है पश्चिम बंगाल के राजनीतिक अपराध अब बिहार में पैठ बनाने लगी है। नीतीश कुमार जब से राष्ट्रीय जनता दल के साथ गए हैं बिहार में भी बंगाल की संस्कृत लागू करना चाह रहे हैं। लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने वाले छात्रों, शिक्षकों, महिलाओं एवं विरोधियों पर लाठियों की बरसात इस बात की तस्दीक करती है कि नीतीश कुमार आने वाला चुनाव बंगाल के तर्ज पर लड़ना चाहते हैं। जिससे बिहार की जनता किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी। यह लाठी वाली राजनीति लोकतंत्र और संविधान को खतरे में डाल रही है जो बेहद चिंताजनक है।
भाजपा प्रवक्ता अजय आलोक के मुताबिक 13 जुलाई को लाठीचार्ज के दरमियान 52 से भी अधिक नेताओं पर लाठीचार्ज किया गया। वहीं 15 भाजपा नेताओं को हाथों में फ्रैक्चर है। इससे स्पष्ट होता है कि बिहार सरकार ने भाजपा नेताओं पर किस तरह जानलेवा हमला करवाया, जो लोकतंत्र के लिए कतई ठीक नहीं है। लोकतंत्र में लाठी तंत्र के खिलाफ ही जनता दल यूनाइटेड सत्ता में आई थी, और अब नीतीश कुमार लाठी में तेल पिलावन वाले राजनीतिक दल के साथ सांठगांठ करके बिहार की जनता की लाठी के बल पर जुबान बंद करना चाहता हैं। लेकिन बिहार क्रांतिकारियों की धरती है। वह किसी भी कीमत पर लाठी तंत्र वाले को हावी नहीं होने देगी। जनता दल यूनाइटेड के पूर्व उपाध्यक्ष एवं चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर कहते हैं लाठी तंत्र के पक्षधर नहीं थे नीतीश कुमार लेकिन अब वो लालू यादव के दबाव में लाठी के साथ खड़े होने को मजबूर हैं। उनके पास अब दूसरा कोई विकल्प बचा नहीं है इसीलिए गृह मंत्रालय अपने हाथ में होने के बावजूद भी वह कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं। सरकार तो राष्ट्रीय जनता दल चला रही है और वह घबराए हुए सब कुछ देख रहे हैं।
बहरहाल जहाँ नीतीश सरकार ने भाजपा के 63 नेताओं पर कानून के उल्लंघन बैरिकेड तोड़ने के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाया हैै। सत्ता के संघर्ष के कारण राजनीतिक दलों की लाठी चार्ज वाली लड़ाई से बिहार की विकास ठप हो चुका है।
(लेखक बिहार मूल के स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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