
स्लग– जम्मू कश्मीर में प्रथम चरण में 61 प्रतिशत से अधिक मतदान दिखाएगा नई राह
-द ओपिनियन-
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव में प्रथम चरण में 7 जिलों की 24 सीटों पर हुआ मतदान उत्साहवद्धक और उम्मीद जगाने वाला है। यह लोगों के आतंक के खौफ से बाहर निकलकर बैलट का सहारा लेने का उदाहरण है। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद राज्य में पहली बार लोग विधायक चुन रहे हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव में भी कश्मीर में अच्छा मतदान हुआ था। बढ़े हुए मतदान से किस राजनीतिक दल को फायदा होगा और किसे नुकसान यह आकलन करना राजनीतिक दलों का काम है और वे अपने अपने विश्लेषण में लगे होंगे। प्रथम चरण में दक्षिण कश्मीर की जिन सीटों पर मतदान हुआ, उनमें से कई पीडीपी के प्रभाव वाली है। पीडीपी में तीसरी पीढ़ी राजनीतिक नेतृत्व के लिए आगे आ रही है। पीडीपी प्रमुख मेहबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती भी चुनाव मैदान में हैं और उनकी सीट पर भी प्रथम चरण में मतदान हो गया है। वह मुफ्ती परिवार की पारंपरिक सीट बिजबेहरा से चुनाव मतदान में थी। इस वोटिंग ने उन लोगों को करारा जवाब दे दिया है जो कश्मीर में चुनाव में कम मतदान को लेकर उन पर सवाल उठाते थे। राजनीतिक क्षेत्रों में यह माना जाता है कि दक्षिण कश्मीर के चुनाव नतीजे पीडीपी की सियासी ताकत भी तय करेंगे। यदि पार्टी को यहां अच्छी सफलता मिलती है तो पार्टी चुनाव बाद सत्ता समीकरण प्रभावित करने की स्थिति में होगी। पिछली बार उसने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। बाद में दोनों के रास्ते अलग अलग हो गए। इस बार कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा की सारी उम्मीद जम्मू क्षे़त्र और कश्मीर से जीतकर आने वाले निर्दलीयों पर टिकी हैं। ऐसे में क्या पीडीपी यदि दक्षिण कश्मीर में मजबूत बनकर उभरती है तो क्या फिर भाजपा के साथ आएगी, यह सवाल आने वाले दिनों में जवाब चाहेगा। भाजपा या नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन या भाजपा व उसके समर्थित उम्मीदवारों को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो पीडीपी किस और जाएगी, यह भी अहम होगा। वहीं नई सियासी ताकत बन रहे इंजीनियर शेख राशिद किस ओर जाएंगे यह भी अहम होगा। लेकिन अभी चुनाव के दो चरण शेष हैं। इसलिए इन सवालों के जवाब चुनाव नतीजों के बाद ही नजर आएंगे।
यह गौर करने वाली बात है कि प्रथम चरण में 61.13 फीसदी मतदान हुआ। यह हाल में हुए लोकसभा चुनाव में उत्तर भारत के कई राज्यों मे मतदान के प्रतिशत के करीब है। यह भी देखने योग्य बात है कि किश्तवाड़ में सबसे ज्यादा 80.14 फीसदी और पुलवामा में सबसे कम 46.65 फीसदी मतदान हुआ। इसमें भी अहम बात यह है कि सुरक्षा प्रबंध इतने चाकचौबंद थे कि मतदान के दौरान कहीं से किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं है। पहले चरण की 24 सीटों में से ज्यादातर कश्मीर घाटी की सीटें हैं, जहां पहले के चुनावों में मतदान का प्रतिशत बहुत कम रहा है। लेकिन इस बार वहां वहां रिकॉर्ड मतदान हुआ है। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा और शोपियां जिले में हुआ मतदान उम्मीद जगाता है क्योंकि ये कभी आतंकवाद के केंद्र में रहे इलाके हैं। लेकिन इस बार लोगों ने वहां जिस तरह मतदान किया है, वह कश्मीर में आ रहे बदलाव की ओर इशारा करते हैं। यह भी सुखद बात रही कि देश के अलग-अलग राज्यों में रहने वाले 35 हजार से ज्यादा कश्मीरी पंडितों ने भी मताधिकार का उपयोग किया। विस्थापित पंडितों के लिए 24 विशेष बूथ बनाए गए थे। इनमें जम्मू में 19, दिल्ली में 4 और उधमपुर में एक बूथ बनाया था।
पीएम मोदी की आज की रैलियां भी होंगी अहम
जम्मू कश्मीर में दूसरे और तीसरे चरण के लिए मतदान क्रमशः 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होगा। मतों की गिनती 8 को होगी। यह कश्मीर मे जमीनी स्तर पर आ रहे बदलाव का का ही संकेत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गुरुवार को श्रीनगर और कटरा में चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी दोपहर लगभग 12 बजे श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में एक चुनावी रैली को संबोधित करेंगे। इसके बाद वे दोपहर करीब 3 बजे कटरा में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में एक और रैली को संबोधित करेंगे। यह घाटी में चल रहे विधानसभा चुनावों के लिए पीएम मोदी की पहली चुनावी रैली होगी। इससे पहले उन्होंने 14 सितंबर को जम्मू के डोडा में भाजपा के लिए एक जनसभा को संबोधित किया था। श्रीनगर में रैली करना क्या किसी भी नेता के लिए आसान रही है। देश के एक पूर्व गृह मंत्री ने गत दिनों यह भी कह दिया था कि वे अपने कार्यकाल में श्रीनगर गए थे लेकिन उन्हें भीतर ही भीतर डर भी लग रहा था। ऐसे में पीएम मोदी की गुरुवार की यात्रा जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक बडे संदेश का काम कर सकती है। इश्न चुनावों के नतीजे कश्मीर के भविष्य की दिशा तय करने वाले होंगे।