
-देवेंद्र यादव-

प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी और संगठित विपक्ष फिलहाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सत्ता पक्ष को संसद में चुनौती देता नजर आने लगा है। मानसून सत्र हंगामेदार रहने का पहले ही पता चल गया था जब विपक्ष ने संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस करने की मांग उठा दी थी। आपरेशन सिंदूर से शुरू हुई बहस की सुई अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान पर आकर टिक गई जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को उन्होंने रुकवाया। राहुल गांधी और विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्ता पक्ष भारतीय जनता पार्टी से ट्रंप के बयान पर जवाब मांगता रहा। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। ट्रंप के टेरिफ लगाने की घोषणा करने के बाद राहुल गांधी सहित सारा विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्ता पक्ष भारतीय जनता पार्टी को संसद और संसद के बाहर टेंशन देने के मूड में आ गया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए अमेरिका के द्वारा भारत पर टैरिफ लगाने के मामले पर सत्ता पक्ष भारतीय जनता पार्टी सरकार को जबरदस्त घेरा।

यदि भारतीय जनता पार्टी के 11 वर्ष के शासनकाल को देखें तो पहली बार विपक्ष भारतीय जनता पार्टी सरकार पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी की लंबी राजनीतिक तपस्या मोदी सरकार को मजबूती के साथ घेरते हुए नजर आ रही है।
देश के जो राजनीतिक पंडित और मुख्य धारा के मीडिया पर डिबेट करने वाले बुद्धिजीवी लगातार कहा करते थे कि विपक्ष कमजोर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प कौन है। उनको अब मजबूत विपक्ष, एकजुट विपक्ष और राहुल गांधी के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प नजर आने लगा होगा। देश में बड़ी संख्या में लोग अब राहुल गांधी के राजनीतिक धैर्य को सलाम करते हुए दिखाई दे रहे हैं। राहुल गांधी ने 2014 में केंद्र से कांग्रेस की सत्ता जाने के बाद पार्टी के भीतर और बाहर, राजनीतिक अपमान के अनेक घूंट पिए। यहां तक की राहुल गांधी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से भी अपना त्यागपत्र दे दिया था। मगर राहुल गांधी न कभी निराश हुए और न ही विचलित। बल्कि दोगुनी शक्ति और ताकत के साथ राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा और मणिपुर से दिल्ली तक भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकल पड़े। इन दोनों यात्राओं ने राहुल गांधी को मजबूत किया क्योंकि उनको देश की जनता ने एहसास कराया की हम तुम्हारे साथ हैं। डरो मत लड़ो और जीतो। शायद राहुल गांधी को जनता के द्वारा दिए गए इस मूल मंत्र का एहसास होने लगा है कि जीत अब उनके सामने है। यही वजह है कि राहुल गांधी गुजरात की धरती पर और संसद के भीतर यह कहते हैं कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन भारतीय जनता पार्टी को हराकर अपनी सरकार बनाएगी। राहुल गांधी की तपस्या और लगन, और मां सोनिया गांधी के प्यार और भरोसे के कारण राहुल गांधी विपक्ष को कांग्रेस की छतरी के नीचे इस समय लाने में कामयाब होते नजर आ रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)