वो बहाना भी बना सकता है आने के लिये। उस सितमगर* को कोई काम भी हो सकता है।।

horse akhilesh
फोटो अखिलेश कुमार

ग़ज़ल

-शकूर अनवर
shakoor anwar new
शकूर अनवर
*
आज के दिन का ये इनआम*भी हो सकता है।
हादसा* कोई सरे-शाम* भी हो सकता है।।
*
मेरे होंटों पे यही तिशनगी * रह सकती है।
मेरे हाथों में कोई जाम भी हो सकता है।।
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तुम किसी ग़ैर की महफ़िल को सजा सकती हो।
यूँ मेरे इश्क़ का अंजाम* भी हो सकता है।।
*
काम से काम रखो, नाम में क्या रक्खा है।
नाम तो नाम है बदनाम भी हो सकता है।।
वो बहाना भी बना सकता है आने के लिये।
उस सितमगर* को कोई काम भी हो सकता है।।
*
ग़ैर-मुम्किन* तो यहाँ कुछ भी नहीं है “अनवर”।
उड़ रहा है जो तहे-दाम* भी हो सकता है।।
*
शब्दार्थ :-
इनआम*पुरस्कार
हादसा*दुर्घटना
सरे शाम*शाम के समय
तिशनगी*प्यास, तृष्णा
अंजाम* अंत
ग़ैर*अन्य
सितम गर*ज़ुल्म करने वाला,प्रेमिका
ग़ैर-मुम्किन*असंभव
तहे-दाम*जाल के अन्दर
*
शकूर अनवर
9460851271
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