हर रोज़ ही उगते हैं नये चाॅंद-सितारे। अपना भी सितारा कोई बदलेगा कभी तो।।

akhilesh
फोटो अखिलेश कुमार

ग़ज़ल

-शकूर अनवर

shakoor anwar
शकूर अनवर

*
बेड़ा मेरा उस पार भी पहुॅंचेगा कभी तो।
तूफ़ान मेरी नाव से हारेगा कभी तो।।
*
मैं उसकी मुहब्बत में गिरफ़्तार हूँ जैसे।
वो मेरे तरीक़े से भी सोचेगा कभी तो।।
*
बैठा ही रहूॅंगा मैं इसी राहगुज़र* पर।
आवाज़ तो देगा, वो पुकारेगा कभी तो।।
*
हर रोज़ ही उगते हैं नये चाॅंद-सितारे।
अपना भी सितारा कोई बदलेगा कभी तो।।
*
अब तक तो खिलौना रहा हाथों में सभी के।
दिल अपनी तबीयत से भी मचलेगा कभी तो।।
*
है मेरे भी सीने में मुहब्बत का समन्दर।
इस बात को “अनवर” कोई समझेगा कभी तो।।
*
शब्दार्थ:-
राहगुज़र*आम रास्ता
तबीयत*स्वभाव
*
शकूर अनवर
9460851271

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments