मेला दशहरा से अखिल भारतीय मुशायरा को हटाने के प्रतिवाद में प्रमुख साहित्यकारों ने मेला समिति अध्यक्ष को दिया ज्ञापन

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कोटा. गत 50 वर्षों  से कोटा के राष्ट्रीय दशहरा मेले की शान बढ़ा रहे अखिल भारतीय मुशायरे के गौरवशाली कार्यक्रम को इस वर्ष अचानक सूची से हटा दिए जाने के विरुद्ध नगर के साहित्यकारों का एक प्रतिनिधि मण्डल मेला दशहरा आयोजन समिति के अध्यक्ष विवेक राजवंशी से नगर निगम में उनके कार्यालय में मिलाऔर इसके प्रतिवाद में  उन्हें ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में इस बात पर रोष व्यक्त किया गया कि गत वर्षों में कार्यक्रमों की सूची से जिस तरह अखिल भारतीय कव्वाली, ग़ज़ल संध्या और स्थानीय कवि सम्मेलन और मुशायरा के कार्यक्रमों को हटा दिया गया, इस वर्ष अखिल भारतीय मुशायरे को भी हटाया जाना मेला समिति द्वारा साहित्य और संस्कृति के सामाजिक मूल्यों की अवहेलना की दिशा में उठाया गया अदूरदर्शितापूर्ण कदम  प्रतीत होता है ।

“विकल्प ” जन सांस्कृतिक मंच के महासचिव महेन्द्र नेह ने ज्ञापन के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए बताया कि कोटा के अखिल भारतीय मुशायरे में देश के सर्वोच्च शायर आते रहे हैं, उन्होंने अपनी शायरी से इंसानियत और भाईचारे का संदेश दिया है . वरिष्ठ जन कवि बृजेंद्र कौशिक ने कहा कि मुशायरा कोटा की गंगा जमुनी सभ्यता और साहित्यिक गरिमा का  प्रतीक  है . उर्दू किसी एक मजहब की नहीं करोड़ों देशवासियों की भाषा है। भाषा को संकीर्ण नजरिए से देखने के बजाय राष्ट्रीय दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि मेला प्रशासन को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करके इसे इस वर्ष के कार्यक्रमों में अवश्य ही शामिल किया जाना चाहिए।

हाड़ौती के साहित्यकार राम करण प्रभाती ने कहा कि हाड़ौती में हिंदी, उर्दू और राजस्थानी भाषाओं का संगम है, मुशायरे के हटाने से साहित्य को ही नहीं यहां की मिली जुली संस्कृति को भावनात्मक ठेस लगी है। प्रसिद्ध शायर चाँद शेरी ने कहा कि  मेला दशहरा के कार्यक्रमों में से अखिलभारतीय मुशायरे को हटाये जाने से उर्दू भाषा और साहित्य  की  गरिमा पर कोई असर नहीं पड़ेगा किन्तु  शायरी के हज़ारों प्रेमियों के लिए यह एक दिल दुखाने वाला सबब बनेगा .

प्रतिनिधि मंडल में विकल्प जन सांस्कृतिक मंच, सर्जना, जनवादी लेखक संघ,सारंग साहित्य समिति, श्रमजीवी विचार मंच, बज्मे अदब आदि साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े साहित्यकार किशन लाल वर्मा ,  दिनेश राय द्विवेदी,  संजय चावला , नैना नसीब , लक्ष्मीकांत बाजपेयी , मदनमोहन शर्मा, वाजिद अली वाजिद आदि शामिल थे. मेला समिति के अध्यक्ष विवेक राजवंशी ने प्रतिनिधि मंडल में शामिल साहित्यकारों को आश्वासन दिया कि वे ज्ञापन मेला समिति को विचारार्थ सोंप देंगे.

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