
बारां। ” महात्मा गांधी और उनके अहिंसावाद को आज के सौ साल बाद भी नहीं भुलाया जा सकता है। इस अहिंसावाद की पहले भी प्रासंगिकता थी और आने वाले समय में भी प्रासंगिकता रहेगी !”ये विचार शिक्षाविद प्रहलाद कुमार मीणा ने पुरातत्व और संग्रहालय विभाग राजस्थान के राजकीय संग्रहालय बारां और भारतीय सांस्कृतिक निधि वराह नगरी बारां अध्याय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।
अध्यक्ष उर्दू के स्थापित रचनाकार हिसामुद्दीन रजा ने कहा कि ” गांधी एक व्यक्ति नहीं एक विचार का नाम है जो भारत की स्वतंत्रता के रूप में उभर कर सामने आया। उनका अहिंसावाद आज भी अपनी स्वीकृति रखता है और समाज द्वारा स्वीकृत किया गया विचार है जिसे विस्मृत नहीं किया जा सकता है।” निदेशालय पुरातत्व और संग्रहालय विभाग जयपुर के निर्देशानुसार “गांधी और उनके अहिंसावाद की वर्तमान समय में प्रासंगिकता ” केन्द्रीय विषय पर आयोजित सेमिनार में शामिल विशिष्ट अतिथि भैरूलाल भास्कर ने कहा कि” गांधी ने अंग्रेजों को अहिंसा के बूते ही ललकारा और अंग्रेजी हुकूमत पर विजय के साथ देश को आजादी दिलाई।”
विशिष्ठ अतिथि सरफुद्दीन राही बारानवी ने कहा ” सारे विश्व में हमारे देश की ख्याति गांधी के आधार पर ही है। गांधी हमारी पहचान है और उनका अहिंसावाद हम सभी का सर्वसम्मत सिद्धांत है।”
कार्यक्रम की शुरुआत मां शारदा और गांधी जी की पूजा अर्चना के साथ हुई।तत्पश्चात मां सरस्वती की शब्द वंदना भैरू लाल भास्कर द्वारा की गई। संग्रहालय के सहायक प्रशासनिक अधिकारी संदीप सिंह जादौन द्वारा अतिथियों के प्रति स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता और शिक्षाविद मेवाराम चौधरी ने अपना व्यक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि ” गांधीजी ने संघर्ष कर पीड़ित मानवता की सेवा की और स्वतंत्रता आंदोलन को शुरू कर देश को आजादी दिलाई। उनका अहिंसावाद आज भी प्रासंगिक एवं अनेकों समस्याओं का समाधान है।”
विचार प्रकटीकरण के दौरान शायर रईस फैजी, नाथूलाल निर्भय, सूरजमल मेघवाल, हरि अग्रवाल, हेमराज बंसल, मेवाराम चौधरी, भैरूलाल भास्कर, सरफुद्दीन राही बारानवी, रजा बारानवी ,कैलाश मेवाड़ा, प्रहलाद कुमार मीणा ने अपनी प्रस्तुतियां दी। सेमिनार का संचालन जितेन्द्र कुमार शर्मा कन्वीनर भारतीय सांस्कृतिक निधि बारां द्वारा कर धन्यवाद ज्ञापित किया गया।