‘पूरा विश्व, समाज और मानव जीवन प्रकृति पर निर्भर’

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-कुन्जेड में 76 वें गणतंत्र दिवस पर ” पर्यावरण संरक्षण वर्कशॉप” आयोजित

बारां। ” प्रकृति से अलग हमारा कोई जीवन नहीं है और हम सभी प्रकृति पर आधारित लोग हैं,पूरा विश्व, समाज और मानव जीवन प्रकृति पर निर्भर करता है जिसमें जीव, जंतु , पक्षी और पशुओं के साथ मनुष्य भी शामिल हैं। इन सभी के लिए जल ,जंगल और जमीन उतनी ही बड़ी आवश्यकता है जिनकी और सभी चीजें मगर सरकारें केवल पूंजीपतियों के हाथों की कठपुतली बन कर ऐसे फैसले ले रही है जो आप और हमारे लिए काफी घातक हैं।लगातार जंगल काटे जा रहे हैं,नदियां प्रदूषित हो रही हैं,जमीनों पर सीमेंट और कंक्रीट के जंगल खड़े हो रहे हैं।
ऐसे में इस मानव समुदाय के लिए कहीं जगह नहीं बच रही है। शाहबाद जंगल में केवल 1800 मेगावाट बिजली के लिए लाखों पेड़ों को काटे जाने की तैयारी की जा गई है जिससे बारां ही नहीं बल्कि पूरे देश को स्वच्छ वायु के लिए खतरा पैदा हो गया है।इसलिए शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन पूरे देश के लिए बहुत जरूरी है।इस आंदोलन के लिए आप और हम सभी को मिल कर लड़ाई लड़नी होगी।” ये विचार भारतीय सांस्कृतिक निधि वराह नगरी बारां अध्याय और पंचफल बॉटनिकल गार्डन कुन्जेड के संयुक्त तत्वावधान में 76 वें गणतंत्र दिवस पर आयोजित एक दिवसीय ” पर्यावरण संरक्षण वर्कशॉप”में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के भारतीय गांधीवादी विचारक और सुकमा आंदोलन से पूरे विश्व में चर्चा में आए आंदोलनकारी हिमांशु कुमार ने व्यक्त किए।

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मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिला संघ चालक और सुप्रसिद्ध आयुर्वेद औषधि विशेषज्ञ डॉ राधेश्याम गर्ग ने मुख्य अतिथि पद से अपना वक्तत्व देते हुए कहा कि ” शाहबाद संरक्षित वन अभ्यारण्य क्षेत्र आयुर्वेद औषधियों से प्रचुर मात्रा में समृद्ध है इसमें 432 से भी अधिक दुर्लभ औषधीय गुणों वाले पेड़ पाए जाते हैं जिसमें से कई औषधीय गुणों वाले पेड़ लुप्त होने के कगार पर हैं। इस जंगल में आयुर्वेद विषय के विद्वान मेरे साथ मिलकर काम कर चुके हैं जिसमें पूरे जंगल में औषधीय गुणों वाले पेड़ों को पाया गया है और इसके लिए कुछ भी करना होगा हम करेंगे।”
राष्ट्रीय स्तर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार पूर्व प्रशासनिक अधिकारी अम्बिका दत्त चतुर्वेदी ने कहा कि” पेड़ और प्रकृति हमसे कुछ नहीं मांगते हैं बल्कि पूरे समाज को अपने उपहार ही देते हैं इनके साथ हमारे रिश्तों को और हमारे साथ इनके रिश्तों की संवेदनाओं को समझना होगा,हम सभी साहित्य को लिखते हुए इन रिश्तों को जीवित रखने वाला आंदोलन चलाएंगे।
सुप्रसिद्ध पर्यावरण विद प्रशांत पाटनी ने कहा कि ” यह आंदोलन सफलता की चरम सीमा पर पहुंच गया है जिसमें आप सभी लोगों द्वारा अपने स्तर पर लाखों पेड़ों को बचाने हेतु जो संकल्प लिया गया वह शलाघनीय प्रयास है।बारां ही नहीं बल्कि पूरे देश की जनता जनार्दन आपके प्रयासों को सार्थक बनाने में मदद कर रही है।”
राजस्थान पत्रिका के पूर्व मुख्य संपादक धीरेन्द्र राहुल ने कहा कि” शाहबाद के जंगल हमारी जीवन रेखा को अपने उपादानों से प्रभावित करते हैं और हमें शुद्ध पर्यावरण प्रदान करते हैं जो आपको और आपके परिवार को अपना जीवन बचाने में मदद करता है इस नाते इस आंदोलन को जितना अच्छा माना जाए उतना ही कम है।
राष्ट्रीय जल बिरादरी के प्रदेश उपाध्यक्ष और कोटा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नगर पर्यावरण प्रभारी बृजेश विजयवर्गीय अध्यक्ष बाघ चीता मित्र ने कहा कि ” शाहबाद जंगल देश भर निवासियों की धरोहर है जिसके कारण हम सभी लोग अपने वातावरण में खुली हवा में सांस ले रहे हैं।इन पेड़ो को बचाने हेतु चलाए जा रहे आंदोलन में शामिल अंतर्राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पर्यावरण विद इस बात का प्रमाण है कि इस आंदोलन की कितनी बड़ी आवश्यकता है।राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चित्तौड़ प्रान्त के पर्यावरण विभाग के प्रभारी महावीर शर्मा ने भी पंचफल बॉटनिकल गार्डन कुन्जेड में आयोजित हुई इस सेमिनार में भाग लिया आंदोलन की सार्थकता को इंगित करते हुए अपने विचार रखे । शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन के तहत आयोजित इस कार्यशाला के अंत में भारतीय सांस्कृतिक निधि वराह नगरी बारां अध्याय के संयोजक जितेंद्र कुमार शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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