रंग की बारिश में उल्लास व उत्साह का भाव रचा बसा होता है

whatsapp image 2025 03 10 at 16.43.48
रंग बराबर से यह कहता रहा है कि तुम रंगों के साथ खिल जाओ , रंगों में नहा लो और रंग के साथ ही जीवन की खुशियों को अनुभव करों । रंगों को एक दूसरे के उपर उड़ाते, रंगों में खो जाते और रंगों में खिल जाते लोगों को देखकर लगता है कि दुनिया कितनी सुंदर है, कितनी मगन मन है ।‌ यहां किसी तरह का दुःख नहीं होता। मन ऐसे खिलता है जैसे कि समुद्र की लहरें आसमान में उछल रही हों। अच्छे अच्छे दुखियारे भी होली के रंग और छींटे में ऐसी खुशी महसूस करते हैं कि उनका जीवन भी हरा भरा हो जाता है।

– विवेक कुमार मिश्र

vivek mishra 162x300
डॉ. विवेक कुमार मिश्र

होली रंग का पर्व है । रंग हमारे भीतर उल्लास और उत्साह को रचते हैं । रंगों में जीना अर्थात अपने आप को पूर्णता में जीना होता है । होली का पर्व जीने को कहता है और यह कहते चलता है कि तुम्हें इस संसार को समझना होगा, संसार को जीना होगा और हर पल को उल्लास के साथ महसूस करना होगा । यह रंगों का पर्व हमारे जीवन में रंग भरने आता है, जो खालीपन जो उदासियां होती हैं उन्हें एक झटके में रंग अपनी चहक के साथ तोड़ देते हैं । होली के पर्व में रंगों को उड़ते , खिलते , महकते और मगन होते हुए देखते हैं । रंग की प्रकृति ही कुछ इस तरह से होती है कि वह अपने ही रंग और छापे में सबको रंग लेता है । रंग बार बार अपने ही रंग में रंग लेता है और कहते चलता है कि जी लो जिंदगी । पूरे साल तो जैसे तैसे काम-धाम करते रहते हो पर अब होली आया है तो होली खेलों, रंगों का पर्व मनाओं और जीवन को उसकी पूरी उर्जा के साथ जीना सीखों । रंग बराबर से यह कहता रहा है कि तुम रंगों के साथ खिल जाओ , रंगों में नहा लो और रंग के साथ ही जीवन की खुशियों को अनुभव करों । रंगों को एक दूसरे के उपर उड़ाते, रंगों में खो जाते और रंगों में खिल जाते लोगों को देखकर लगता है कि दुनिया कितनी सुंदर है, कितनी मगन मन है ।‌ यहां किसी तरह का दुःख नहीं होता। मन ऐसे खिलता है जैसे कि समुद्र की लहरें आसमान में उछल रही हों। अच्छे अच्छे दुखियारे भी होली के रंग और छींटे में ऐसी खुशी महसूस करते हैं कि उनका जीवन भी हरा भरा हो जाता है । होली के रंग को खेलने के लिए पूरा शहर ही हवा में उड़ने लगता है जिसे देखो उसी के उपर होली का रंग चढ़ा है । बच्चे , युवा, स्त्री पुरुष सभी होली के रंग में सजे रंगे दिखते हैं। किसी के हाथ में रंग है तो किसी के गुलाल तो किसी के पिचकारी और कोई कोई तो गुब्बारे में रंग भर कर दूर से ही रंग का सोंटा चला रहा है। पूरा समाज मगन मन होली गा रहा है होली खेल रहा है और रंगों की बरसात में मगन मन नाच रहा है। सब पर बस होली का रंग ही छाया है ।
होली का पर्व पूरी तरह से सामाजिक व्यवहार का , मेलजोल का और हर तरह के बैर भाव को भुलाकर एक दूसरे को स्वीकार करने अपनाने का पर्व है । इस दिन जो वर्षों से नहीं मिला होता जिससे हम कभी बातचित भी नहीं किए होते हैं वह भी सामने आ जाता है तो उसे रंग गुलाल लगाकर एक दूसरे को शुभकामनाएं दी जाती हैं । एक दूसरे के प्रति अच्छा सोचने का पर्व है । रंग हमारे भीतर बाहर साथ साथ खिलते हैं । होली का पर्व हमारे सामाजिक मन को, मनुष्य की रागात्मिका वृत्ति को और मन के भीतर पल रहे उल्लास को सामने लाने का काम करती है । बुरा न मानो होली है कह एक दूसरे के उपर रंग डालते हैं। रंग की मीठी फुहार न जाने कितना रस घोल देती है कि जिसे देखों वहीं होली के रंग में रंगा जा रहा है । शुभ होली की टोपी लगाकर घरों से लोग-बाग बाहर निकल जाते हैं । रंग खेलते बच्चों युवाओं की टोलियां हमारे संसार को नये सिरे से देखने समझने के लिए रच देती हैं । लाल गुलाबी हरे नीले पीले और जामुनी नारंगी रंगों से बने होली के रंग गुलाल ऐसे हवा में तैरते हैं कि इनके अलावा किसी को कुछ और दिखता ही नहीं है । शुभ होली मन के रंग की होली होती है । होली उत्सव के रूप में जीवन के भीतर रंगों द्वारा बदलाव लाने का काम करती है । एक होली वृंदावन में खेली जाती है । यह होली का ऐसा रंग उत्सव है जिसमें सब भगवान कृष्ण के साथ होली खेलते हैं और पूरा वृंदावन ही इस होली में मगन दिखता है । वृंदावन खुशियों से बल्लियों बल्लियों उछलता है । कान्हा की पिचकारी से जो रंग उतरता है उसमें पूरा समाज अपने आप को भींगा महसूस करता है । लोक इस तरह से गाता चलता है कि… कान्हा ने मोहे मारी पिचकारी…’ इस रंग में भीग जाने का जो सुख है वह कहीं और नहीं है । यहां होली मन से, आत्मीय भाव से, उल्लास में डूबकर खेली जाती है । हर उम्र में रंग का उत्सव उतर जाता है ।
यह रंग मन का रंग है । होली का पर्व हमारे मन के कलुष को धोने का काम करता है । एक तरफ राग की होली वृंदावन में खेली जाती है दूसरी तरफ काशी में भोलेनाथ की होली है – ‘मशाने में खेले होली ‘ राग और वैराग्य के बीच आम जन की होली है जो खुशी और उत्साह का रंग रच देती है । होली का पर्व मन का उत्सव रच सामाजिक मनोभाव के साथ साथ हमारे मनोवैज्ञानिक जीवन सत्यों को रंगों के साथ खेलना सीखाती है । होली का पर्व मूलतः जीवन के उल्लास भाव का अकुंठ मन से खेला गया पर्व है । यह पर्व सामाजिक है । होली का रंग पूरे समाज में उत्सवीं भाव को रचता है । यह पर्व उत्साह का है, सामाजिक जीवन का है । यह पर्व जीवन के सामाजिक केंद्र का है । आधुनिक जीवन व्यवहार में होली के परंपरागत आधार के साथ साथ आधुनिक आधार को भी देखा जाना चाहिए । आधुनिक भाव बोध के साथ होली का पर्व आधुनिक जीवन को भी उल्लास और रंगों से भर देता है –
1. आधुनिक जीवन में जो दौड़-भाग है जो तनाव है , जो विसंगतियां जीवन में आ गई हैं और जो आदमी पता नहीं क्या पाने के लिए दिन रात भाग रहा है उसे कुछ देर के लिए होली के रंग सुकून की जिंदगी और खुशियां दे देते हैं । थोड़ी देर के लिए ही सही होली के रंग आदमी को दुनियाभर की झंझटों से मुक्त कर देते हैं ।
2. आधुनिक जीवन में जो अकेलापन है जो अवसाद और निराशा जैसी भावनाएं घर कर जाती है उसमें होली के रंग नये सिरे से ताजगी भरने का काम करता है । रंग की बारिश जीवन में खुशियां ढ़ोल जाती है ।
3. आधुनिक संसार के थके मांदे इंसान को जीवन में जब उल्लास मिलता है तो वह जीवन को नये सिरे से देखने का काम करता है। होली के रंग उसके सामने उत्सव बनकर आ जाते हैं।
4. होली के साथ ही मनुष्य का मन उच्च खेलभावना को अपना लेता है । यहां आपस में मेलजोल और प्रेम भाव को ही सबकुछ मानकर सब खेलते हैं । होली का रंग इस तरह से खेलना चाहिए कि किसी का कुछ नुकसान न हो।
5. बहुत सारे लोग ऐसे रंग ले लेते हैं जो सीधे सीधे हमारी स्किन को नुक्सान पहुंचाते हैं । होली का पर्व ऐसे लोगों से खासकर यह कहता है कि प्राकृतिक रंगों से खेलों। जो भी रंग ले वह प्राकृतिक हो , हमारे भीतर बाहर किसी तरह का डर न हो । रंग का उत्सव खुशी देने के लिए है और इसे इसी रूप में लेना चाहिए ।
6. होली पर केवल अपनी सुविधाओं के हिसाब से न खेलें बल्कि अन्य के लिए भी रंग खेलें । यदि कोई बच्चा रंग खेलना चाहता है तो उसका मन रखने के लिए ही खेलें पर खेलें यह न सोचें कि अब तो मैंने नहा लिया मेरा कपड़ा खराब हो जायेगा । मन को बड़ा कर होली खेलने का सुख ही अलग है । आपकी खुशी में सबकी ख़ुशी शामिल हो जाएं तो रंग का आनंद ही आनंद है।
7. होली का रंग फूलों से तैयार करें । स्वाभाविक रंगों से खेले ।
होली के रंग में, सांसारिक संसार में जीवन के उल्लास को घोलने का काम होली के रंग ही करते हैं। ये रंग सारे अवसाद तनाव को एक झटके में दूर कर देते हैं । मानव मन में ऐसा तरंग घोल देते हैं कि वह मन से, शरीर से कुंठा मुक्त होकर जीवन जीने की दशा में आ जाता है । जब आप रंग खेलते हैं तो अपने पद प्रतिष्ठा दशा सबको भूलकर अपने भीतर एक बच्चे को लेकर आ जाते हैं । होली में बूढ़े भी बच्चे से हो जाते हैं । होली का यह सामूहिक रंग उत्सव जीवन में खिल जाने का भाव लाता है । मनुष्य की सामूहिक शक्तियां एक साथ आनंदित हो उठती हैं । बच्चे जहां रंग गुलाल लेकर उल्लसित और आनंदित होते हैं वहीं रंगों के इस खेल को देखकर बड़े बुजुर्ग आनंदित हो जाते हैं । खुशियों के प्रतीक रंगों को जीवन में धारण कर रंगों में डूब कर ऐसे घूमते हैं कि इसके अलावा जीवन में कुछ और हो ही नहीं ।
______
एफ -9, समृद्धि नगर स्पेशल बारां रोड कोटा -324002

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments