
-राजेन्द्र गुप्ता-
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विवाह पंचमी का दिन हिंदू धर्म में बेहद खास है। माना जाता है कि, इसी दिन प्रभु श्रीराम और माता सीता का विवाह संपन्न हुआ था। इस दिन राम और सीता की पूजा आराधना करने से कई शुभ फलों की भी प्राप्ति होती है। वैवाहिक जीवन में खुशियां प्राप्त करने के लिए विवाहित लोग इस दिन विशेष पूजा का आयोजन भी करते हैं। धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण दिन होने के बावजूद भी लोग इस दिन विवाह करने से बचते हैं।
विवाह पंचमी की तिथि कब हैं?
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विवाह पंचमी का पर्व साल 2024 में 6 दिसंबर को मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार, राम और सीता जी का विवाह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था, यह दिन 6 दिसंबर को ही है। इस दिन विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
इसलिए विवाह पंचमी के दिन शादी नहीं रचाते लोग
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विवाह पंचमी के दिन भगवान राम और सीता का विवाह हुआ था। इसलिए मार्गशीर्ष, शुक्ल पंचमी को बेहद शुभ माना जाता है, लेकिन फिर भी लोग इस दिन विवाह करने से बचते हैं। लोग इस दिन को लेकर सोचते हैं कि, राम और सीता ने इस दिन विवाह किया था और उनके वैवाहिक जीवन में इसी कारण से कई कठिनाइयां आयी थीं। विवाह के बाद राम जी को वनवास हुआ और राम-सीता को वन-वन भटकना पड़ा। इसके बाद रावण द्वारा सीता जी का हरण किया गया। लंका विजय और सीता, राम के अपने राज्य में लौटने के बाद भी वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर नहीं हुईं। सीता जी को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी और अंत समय में सीता और राम जी एक दूसरे से अलग रहने लगे। जन सामान्य में ये धारणा है कि, अगर उनके बच्चों का विवाह भी विवाह पंचमी के दिन होगा तो वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना उनको करना पड़ सकता है। इसी वजह से विवाह पंचमी के दिन शादी करने से लोग बचते हैं।
विवाह पंचमी पर शादी न करने की यह भी है वजह
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विवाह पंचमी के दिन को भगवान राम और माता सीता की पूजा और उनके विवाह का उत्सव मनाने के लिए बेहद खास माना जाता है। इस दिन भक्त राम-सीता की पूजा करते हैं और अपने वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। यह दिन धार्मिक और आत्मिक उत्थान के लिए भी बेहद शुभ होता है। चूंकि इस दिन भगवान के विवाह को याद किया जाता है, इसलिए निजी विवाह के लिए यह दिन सही नहीं माना जाता। विवाह पंचमी से जुड़ी कुछ मान्यताओं के अनुसार, क्योंकि इस दिन राम और सीता जी का विवाह हुआ था, इसलिए विवाह पंचमी के दिन को यादगार बनाने के लिए किसी को भी इस दिन शादी नहीं करनी चाहिए।
कई समुदायों में ये भी है मान्यता
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जहां एक ओर ज्यादातर लोग विवाह पंचमी के दिन विवाह करने से बचते हैं। वहीं कई समुदायों में इस दिन शादी करने को बेहद शुभ माना जाता है। कई ऐसे समुदाय हैं जो विशेषकर विवाह पंचमी के दिन ही अपने बच्चों का विवाह करना शुभ मानते हैं।
विवाह पंचमी का धार्मिक महत्व
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हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार विवाह पंचमी के दिन न सिर्फ भगवान श्री राम और सीता का विवाह हुआ था। बल्कि इसी दिन गोस्वामी श्री तुलसी दास जी ने रामायण का अवधी संस्करण पूरा किया था। मान्यता है कि विवाह पंचमी के दिन भगवान श्री राम और माता जानकी की पूजा और तुलसीदास जी रचित श्री रामचरितमानस की सिद्ध चौपाइयों का जाप करने पर साधक को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।
विवाह पंचमी की पूजा विधि
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विवाह पंचमी पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करके नए कपड़े पहनकर पूजा की चौकी तैयार करें।
चौकी पर एक कपड़ा बिछाकर पूजा सामग्री रखें।
राम और सीता की मूर्तियां स्थापित कर उन्हें दूल्हे और दुल्हन की तरह तैयार करें।
फल, फूल व अन्य पूजा सामग्री के साथ दोनों देवताओं की पूजा आराधना करें। मान्यता है इससे विवाह में विलंब नहीं होता।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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