
-मनु वाशिष्ठ-

“मानस” आज भले ही किन्हीं कारणों से चर्चा में है, लेकिन यह जन जन के जीवन का आधार तथा बच्चे बच्चे के मानस पटल पर अंकित है। बचपन में अम्मा रात्रि में हम बच्चों सुला रही होतीं, तो कहानियों के साथ दो तीन पंक्तियों की रामायण भी सुना देतीं, साथ अनजाने में ही एक सबक भी कि यदि कोई किसी के साथ बुरा करेगा तो अंत में उसका भी विनाश निश्चित है। इस तरह अनपढ़ अम्मा द्वारा संक्षेप में बताई गई रामायण आज तक याद है। और मैं ने भी अपने बच्चों, फिर आगे उनके बच्चों को भी सिखा दिया है। हालांकि कई बुद्धिजीवी इसे एक कहावत में उदाहरण की तरह बताते हैं, कि कैसे छोटी बात का बतंगड़ बनाया जाता है। यानि कैसे चार पंक्तियों की रामायण के लिए तुलसीदास जी ने पूरा रामचरित मानस ही लिख दिया। लेकिन हमारी अम्मा ने तो रामायण का सार ही बताया गया कि कौन कौन पात्र थे, और उनकी लड़ाई की वजह क्या थी।
एक राम इक रावन्ना, एक क्षत्रिय एक बामन्ना।
बा ने बा की नार चुराई, बा ने बा की लंक जराई।
बात कौ बन गयौ बातन्ना,तुलसी लिख गए पोथन्ना।
फिर बड़े हुए, संस्कृत भाषा पाठ्यक्रम में पढ़ी जाने लगी तब दादाजी ने ये एकश्लोकी रामायण याद करवा दी। जो आज भी कुछ कुछ याद है, हां अम्मा वाली रामायण पूरी तरह याद है। इस तरह बड़े बुजुर्ग, बच्चों को संस्कृति से जोड़े रखते थे। जिससे आज की पीढ़ी वंचित हो रही है।
एकश्लोकी रामायण __
आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृग कांचनं।
वैदेही हरणं, जटायु मरणं, सुग्रीव संभाषणं।
बालि निर्दलं, समुद्र तरणं, लंकापुरी दाहनं।
पश्चाद्रावाणं_कुंभकरण हननं, एतद्दि रामयणं।
यानि श्री राम वन को गए वहां उन्होंने सोने के हिरण वध किया। उसके बाद रावण ने सीता हरण किया, जटायु ने सीता मईया की रक्षा में प्राण त्याग दिए। फिर श्रीराम की सुग्रीव से मित्रता हुई और बालि का वध हुआ। समुद्र में राम सेतु बना उस पर लंका गमन और हनुमान जी द्वारा लंका दहन किया गया। इसके बाद श्री राम ने कुंभकर्ण और रावण का वध किया। यही एकश्लोकी रामायण है। इसमें भी रामायण का संक्षिप्त सार ही है।
__ मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राजस्थान