
-राजेन्द्र गुप्ता
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वासुदेव द्वादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। इस दिन का हिंदू धर्म में खास महत्व होता है।
वसुदेव द्वादशी का महत्व
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हिंदू मान्यताओं के अनुसार जो भी मनुष्य वासुदेव द्वादशी का व्रत करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा जो भी वैवाहिक दंपती संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं उन्हें वासुदेव द्वादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।
क्यो मनाई जाती है वसुदेव द्वादशी
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यह व्रत नारद द्वारा वासुदेव एवं देवकी को बताया गया था। भगवान वासुदेव और माता देवकी ने पूरी श्रद्धा से आषाढ़ मास के शुक्ल की द्वादशी तिथि को यह व्रत रखा था। इसी व्रत के कारण उन्हें भगवान श्री कृष्ण के रूप में संतान की प्राप्ति हुई थी। इस व्रत की महिमा इतनी है कि इसके करने से व्यक्ति के सभी पाप कट जाते हैं। उसे पुत्र की प्राप्ति होती है या फिर नष्ट हुआ राज्य पुनः मिल जाता है।
कैसे करें ये व्रत
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सबसे पहले जल पात्र में रखकर तथा दो वस्त्रों से ढककर वासुदेव की स्वर्णिम प्रतिमा का पूजन तथा उसका दान करना चाहिए। सुबह सबसे पहले नहाने के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए। यह व्रत पूरे दिन रखा जाता है। भगवान को आप हाथ के पंखे, लैंप के साथ फल फूल चढ़ाने चाहिए। भगवान विष्णु की पंचामृत से पूजा करनी चाहिए। उन्हें भोग लगाना चाहिए। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करने से आप की हर समस्या का समाधान होगा।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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