
– विवेक कुमार मिश्र

परीक्षा की तैयारी कैसे करें यह प्रश्न परीक्षा में बैठने वाले हर परीक्षार्थी के सामने होता है। परीक्षा मूलतः हमारे ज्ञान व धैर्य की भी होती है कि कैसी भी स्थिति क्यों न हो हम व्यवहार किस तरह से करते हैं। हर परीक्षा एक कठिन स्थिति और एक समस्या लेकर आती है। स्थितियों से जूझने की शक्ति हमारे भीतर होना चाहिए तभी हम एक सफल परीक्षार्थी के रूप में कार्य कर पाते हैं। यह बात बार बार सामने आती है कि परीक्षा एक ही होती है पर उसके साथ हर परीक्षार्थी अलग अलग व्यवहार करता है। परीक्षा को किस तरह से हम लेते हैं यह सबके लिए अलग अलग होती है। एक तर्क से सारे परीक्षार्थी परीक्षा नहीं देते। एक परीक्षार्थी के लिए जो सफलता का तर्क होता है वहीं सबके लिए नहीं होता।
अक्सर यह देखने में आता है कि परीक्षा की घड़ी जैसे जैसे नजदीक आती है तो परीक्षा देने वालों में एक तरह का तनाव सा आ जाता है। उन्हें यह लगता है कि परीक्षा तो बहुत जल्दी आ रही है। एक तरह से सिर पर ही आ गई इस परीक्षा के लिए हम अभी तैयार नहीं हो पाएं। यह परीक्षा जल्दी हो रही है – और यह उन लोगों का ग्रुप होता है जो किसी भी परीक्षा को किसी भी स्थिति में देना नहीं चाहते हैं। इनके लिए बस एक ही सवाल होता है कि परीक्षा जल्दी हो रही है। ये इस बात पर जोर देते रहते हैं कि परीक्षा को टल जाना चाहिए। परीक्षा टल जाने के बाद इस तरह के लोग खुश हो जाते हैं। इन्हें कभी भी परीक्षा देना होता ही नहीं है। यदि परीक्षा नहीं टली तो ये बीमार हो जायेंगे, कोई इनका करीबी बीमार हो जायेगा और ये उसकी सेवा टहल के बहाने से परीक्षा से मुक्त हो जाने का बहाना बना लेते हैं। एक दूसरा वर्ग होता है जो पूरी गंभीरता से परीक्षा की तैयारी कर रहा होता है उसके लिए परीक्षा तय समय से हो जाये तो वह खुश होता है ये वास्तविक परीक्षार्थी होते हैं। इनका पूरा संघर्ष परीक्षा को देने और सफल होने में होता है। ये वे परीक्षार्थी होते हैं जो जी जान लगाकर मेहनत करते हैं अपना पूरा फोकस परीक्षा की तैयारी पर रखते हैं और परीक्षा की एक एक बारीकी एक एक सवाल इनके लिए महत्वपूर्ण होता है और ये हर परीक्षा में सफल होने का हुनर रखते हैं। इनके लिए तय समय पर परीक्षा का हो जाना ही सफलता का बड़ा आधार होता है। परीक्षा का कोई भी रूप क्यों न हो वह हमेशा हमारी शक्ति को चैलेंज करता है । परीक्षा है तो उसे देने का साहस भी होना चाहिए। परीक्षा हमारी संघर्ष क्षमता को बढ़ाता है । परीक्षा को कभी भी अपने उपर हावी नहीं होने देना चाहिए। परीक्षा का तनाव किसी भी दशा में नहीं लेना चाहिए।
अक्सर परीक्षार्थी परीक्षा के तनाव को लेकर परेशान होता है। आप यदि परीक्षार्थी हैं तो परीक्षा का सामान तनाव रहेगा पर उसको अपने ऊपर हावी न होने दें। हर स्थिति में परीक्षा को देना सीखें। परीक्षा में समय के साथ भागीदारी सुनिश्चित करें। हर परीक्षा के हिसाब से पूरी तैयारी कर परीक्षा में शामिल होना चाहिए।
कई लोगों का इस तरह से सोचना भी होता है कि चलों एक परीक्षा देखने के लिए दे लेते हैं। यहां साफ तौर पर यह बात कही जा सकती है कि कोई भी परीक्षा पर्यटन स्थल नहीं है कि उसे आप देखने के लिए जाएं। यह तय मानिए कि यदि बिना तैयारी के आपने परीक्षा दी है तो सफलता किसी भी दशा में नहीं मिलेगी। यहीं यह भी सच है कि कोई भी आदमी अपनी असफलता को स्वीकार करना नहीं चाहता । सफलता तो सहज रूप से स्वीकार हो जाती है पर असफलता को कोई कितना भी प्रौढ़ चिंतन वाला हो स्वीकार नहीं कर पाता है। इस तरह से परीक्षा में मिली असफलता आपके व्यवहार को बहुत बुरी तरह से प्रभावित करती है।
अतः यहां साफ तौर पर कहना पड़ता है कि आप देखने के लिए कभी परीक्षा न दें । परीक्षा को हमेशा अपनी पूर्ण क्षमता पूर्ण शक्ति और पूर्णतया तैयारी के साथ ही देना चाहिए । आप परीक्षा में अपना 100 प्रतिशत झोंक दीजिए, अपने भीतर यह आत्मविश्वास रखिए कि जो आप लिख रहे हैं व न केवल सही एवं उचित है बल्कि आपसे बेहतर कोई भी नहीं लिख रहा है । जब इस तरह से सोचते हुए परीक्षा को आप दें रहे होते हैं तो स्वाभाविक तौर पर जीवन की गति में आपको लिए हर परीक्षा एक चुनौती की तरह होती है और इसे सहजता से आप स्वीकार करते हुए आगे बढ़ते हैं। किसी भी परीक्षा में सफल होने के लिए कुछ बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है –
1. हर परीक्षा कठोर परिश्रम की मांग रखती है। इसके लिए तैयार रहें।
2. परीक्षा में आत्मविश्वास का होना अति आवश्यक है। जब आत्मविश्वास के साथ परीक्षा में हम बैठते हैं तो सफलता हमारे कदम चूमती है।
3. परीक्षा से संबंधित पूरे विषय को तथ्यात्मक रूप से बांटकर तैयारी करें।
4. परीक्षा का तनाव किसी भी हालात में अपने उपर न लें।
5. किसी भी परीक्षा के लिए किसी अन्य की नकल न करें बल्कि अपनी स्वाभाविक स्थिति के साथ परीक्षा में बैठे।
6.परीक्षा में सफलता असफलता एक नंबर गेम है । इससे ज्यादा इसका प्रभाव अपने उपर न लें।
7. किसी भी सफलता का रास्ता शार्टकट में नहीं होता यह बात परीक्षा पर भी पूरी तरह से लागू होती है।
8. परीक्षा को कभी भी अपने स्वभाव और व्यवहार पर हावी न होने दें।
9. परीक्षा को समग्रता में लेते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करें। जब पूर्ण क्षमता के साथ परीक्षा देते हैं तो परीक्षा का परिणाम स्वाभाविक रूप से आपके पक्ष में होगा ।
परीक्षा मानव के जीवन व्यवहार व सामाजिक व्यवहार को एक साथ संयोजित करने का काम करती है । आप परीक्षा में भाग लेते हुए जितना सहज व सामान्य तौर पर रहते हुए आगे बढ़ते हैं उतनी ही सफलता व सार्थकता आपके साथ होती है।
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