विश्व पुस्तक मेले में चन्दन और इरशाद को स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान

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-श्रेष्ठ कृतियों का सम्मान दुर्लभ – प्रो श्योराज सिंह बेचैन

-लेखक मंच पर हुआ सम्मान समारोह

दिल्ली। हिंदी के युवा कथाकार चन्दन पांडेय और नाटककार इरशाद खान सिकन्दर को विश्व पुस्तक मेले में स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान दिया गया। स्वयं प्रकाश स्मृति न्यास द्वारा आयोजित सम्मान सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि विख्यात साहित्यकार श्यौराज सिंह बेचैन और अध्यक्ष विद्वान अध्येता माधव हाड़ा थे। पांडेय को वर्ष 2023 का सम्मान उनके उपन्यास ‘कीर्तिगान’ तथा सिकन्दर को वर्ष 2024 का सम्मान उनके नाटक ‘जौन एलिया का जिन’ के लिए दिया गया।
सम्मान स्वीकारते हुए चन्दन पांडेय ने कहा कि बड़े कथाकार स्वयं प्रकाश के नाम से जुड़ना उनके लिए बेहद खुशी की बात है। पांडेय ने कहा कि ⁠कीर्तिगान उपन्यास के विषय वस्तु से अगर कोई पुरस्कार समिति अपना जुड़ाव दर्ज कराती है तो यकीनन यह आज के समय में खासा साहसिक निर्णय है। हिंदी का प्रभुत्वशाली वर्ग मॉब लिंचिंग के दौर पर न कोई बात करना चाहता है और न उसे दर्ज चाहता है। उन्होंने कहा इस कारण भी यह सम्मान उनके लिए विशेष है। दूसरे सम्मानित लेखक इरशाद खान सिकन्दर ने अपने नाटक की रचना प्रक्रिया बताई जब वे कोविड के कारण उन्हें लम्बे समय तक एकांत में रहना पड़ा तब वे लगातार मीर, ग़ालिब और जौन एलिया को पढ़ते रहे। उसी दौरान उन्हें यह नाटक लिखने की प्रेरणा मिली और जब इसका पाठ उन्होंने रंगमंच से जुड़े विशेषज्ञों के समक्ष किया तब सभी ने नाटक को प्रकाशित करवाने का सुझाव दिया। उन्होंने सुझावों के लिए रंजीत कपूर और रवींद्र त्रिपाठी का आभार व्यक्त किया।

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इससे पहले सम्मान में दोनों रचनाकारों को प्रो बेचैन, प्रो हाड़ा और रश्मि भटनागर ने ग्यारह हजार रुपये राशि, शॉल, प्रशस्ति पत्र और पुस्तकें भेंट कीं। प्रशस्ति वाचन क्रमश: डॉ नीलम सिंह और डॉ कीर्ति माहेश्वरी ने किया।
मुख्य अतिथि प्रो श्यौराज सिंह बेचैन ने कहा कि पुरस्कारों के अविश्वसनीय होते जा रहे समय में श्रेष्ठ कृतियों की पहचान और उनके रचनाकारों का सम्मान साहित्य की बड़ी सेवा है जो स्वयं प्रकाश स्मृति न्यास कर रहा है। प्रो बेचैन ने दोनों रचनाकारों को बधाई देते हुए मुख्यत: नाटक विधा की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अल्प शिक्षित और अशिक्षित लोगों तक भी इस विधा के माध्यम से विचारों को पहुंचाया जा सकता है। स्वयं प्रकाश को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि बड़े कथाकार के रूप में साहित्य जगत उन्हें याद करता है। समारोह के अध्यक्ष प्रो माधव हाड़ा ने कहा कि चन्दन और सिकन्दर जैसे युवा लेखकों को यह सम्मान ऐसे समय में दिया जा रहा है जब हम सबको विश्वास है कि अभी ये लोग और श्रेष्ठ रचनाएं देंगे। उन्होंने स्वयं प्रकाश को उद्धृत करते हुए कहा कि केवल कथ्य या विचार से कोई रचना महान नहीं बनती रूप और शैली से उसकी पठनीयता तय होती है। स्वयं प्रकाश के उपन्यास बीच में विनय का उल्लेख कर प्रो हाड़ा ने बताया कि वे रचनाकार सचमुच बड़े हो सके हैं जिन्होंने कोरे यथार्थ की सीमाओं को तोड़कर जीवन की सच्ची व्याख्या लेखन में की।

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संयोजन कर रहे युवा फिल्म अध्येता मिहिर पंड्या ने स्वयं प्रकाश की प्रसिद्ध कहानी नीलकांत का सफर के अंशों का पाठ भी किया। अंत में न्यास की ओर से आलोचक पल्लव ने निर्णायक समितियों और रचनाकारों का आभार ज्ञापित किया। आयोजन में लेखिका रजत रानी मीनू, सुप्रसिद्ध रंग आलोचक रवींद्र त्रिपाठी, कवि महेश वर्मा, कवि सुबोध कुमार, कथाकार अनिल यादव , प्रकाशक आमोद माहेश्वरी, प्रकाशक प्रणव जौहरी, प्रो रंजन माहेश्वरी, चौपाल के सम्पादक डॉ कामेश्वर प्रसाद सिंह, डॉ के आर परिहार, शैलेश कुमार, प्रो रचना सिंह, प्रो नामदेव, विनीत कुमार सहित बड़ी संख्या में पाठक, लेखक और युवा विद्यार्थी उपस्थित थे।

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