
-हरिमोहन गौतम-
कोटा। शहर के कई सरकारी स्कूलों के भवनों को मरम्मत की दरकार है। बरसात में पानी टपकता है। खिड़की व दरवाजे भी टूटे हुए हैं। इस वर्ष 155 स्कूलों की मरम्मत के लिए 498 लाख रूपए मांगे गए हैं, इससे पिछले वर्ष में भी 2 करोड़ रुपए का बजट मांगा गया था लेकिन पैसा नहीं मिलने से किसी भी विद्यालय की मरम्मत नही करवाई जा सकी। अधिकारियों के आदेश पर जिले के विद्यालयों ने भौतिक स्थिति की रिपोर्ट तैयार कर जिला मुख्यालय को भिजवाई तो अभियंताओं ने प्लास्तर, दरवाजे, खिड़कियां व रंगाई-पुताई का 4 करोड़ 93 लाख का एस्टीमेट तैयार कर मुख्यालय को स्वीकृति के लिए भिजवा दिया।

छतें टपकती हैं
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पुलिस लाइन के सभी कमरों की छतें टपकती हैं। मरम्मत कार्य के लिए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को पत्र लिख मरम्मत की मांग की गई है। ब्लॉक खैराबाद के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय दुर्जनपुरा का भवन भी पूरा टपकता है। विद्यालय प्रशासन ने कई बार विभाग को पत्र लिखकर अवगत करवाया लेकिन बजट दिया नहीं जाता। बच्चों की सुरक्षा पर खतरा रहता है। ब्लॉक इटावा के बालिका विद्यालय निमोला की तो पूरी इमारत ही बाढ के दौरान जलमग्न हो गई थी यहां भी भवन मरम्मत मांग रहा है। ये तो कुछ उदाहरण मात्र हैं। कोटा जिले में 155 स्कूलों की सूची हैं जिसमें कोटा शहर में 31 और ग्रामीण क्षेत्रों में 124 सरकारी स्कूल भवनों को मरम्मत की जरूरत हैं। जिनके लिए 498 लाख रुपए का बजट मांगा गया है।
जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) ने बताया कि हमारी ओर से बजट की मांग की जाती है। यदि नहीं मिल रहा तो संबंधित शाखा के अभियंताओं से जानकारी कर मुख्यालय को पत्र लिखा जाएगा।
बजट मिलता ही नहीं
शिक्षा विभाग की तकनीकी शाखा के अभियन्ता ने बताया कि 155 स्कूलों की मरम्मत के लिए बजट प्रस्ताव भेजे है। बजट मिलने पर स्कूल की इमारतों की मरम्मत हो सकेगी।
स्कूल के हाल बेहाल, कहां बैठें और कैसे पढ़ें नौनिहाल
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय दुर्जनपुरा में भवन व परिसर की दशा इतनी खराब हो गई है कि बच्चों के बैठने की जगह नहीं है। यहां तक कि शौचालय और मूत्रालय में तो जाना मौत को आमंत्रित करना है क्योंकि पता नहीं 25-30 साल पहले बने जर्जर भवन की छत कब ढह जाए। स्कूल के लगभग सभी कमरों की छतें, दीवारें और फर्श की मरम्मत की दरकार है। मैदान में ही नहीं बल्कि कमरों में भी पानी भर जाता है। समय-समय पर उच्च अधिकारियों,

जनप्रतिनिधियों, भामाशाहों को अवगत कराया जाता रहा है लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है। बाउंड्री वॉल जगह-जगह टूट गई है और नीची बाउंड्री होने से जानवरों तथा बच्चों के परिसर में आकर पेड़-पौधौं को नुक़सान करने में आसानी रहती है। कुछ असामाजिक तत्वों की विद्यालय समय बाद हलचल और नशे पते की बातें सामने आती हैं। पेयजल की सुनिश्चित व्यवस्था नहीं है ।
बिजली की फिटिंग जीर्ण-शीर्ण अवस्था में
बिजली की फिटिंग बहुत जगह जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। छत पर से 11 के वी विद्युत लाइन के तार लटक रहे हैं जिनके बारे में अनेक बार ए ई एन सुकेत को निवेदन किया है। गांव में नल न होने से बोरिंग द्वारा पचासों पाइप छतों, पेड़ों और परिसर में झूलते हुए निकल रहे हैं। बरसात के पानी की निकासी नहीं होने से भवन की बुनियाद कमजोर हो गई है। समय रहते उचित और पर्याप्त मरम्मत नहीं कराई गई तो कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है।