
कोटा। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने राज्य के दो सरकारी बीएड कालेजों बीकानेर के राधाकृष्णन उच्च अध्ययन संस्थान तथा अजमेर के राजकीय उच्च अध्ययन शिक्षण संस्थानों की बीएड तथा एमएड की मान्यता विड्रा (वापस) कर ली है। इससे इन दो सरकारी कॉलेजों में आगामी सत्र में बीएड प्रवेश पर तलवार लटक गई है। हालांकि पहले से अध्ययनरत प्रशिक्षणार्थियों की डिग्री पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन नए प्रवेश फिलहाल नहीं हो सकेंगे।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद, नई दिल्ली ही देश भर की डीएलएड, बीएड तथा एमएड की मान्यता देने के लिए एकमात्र अधिकृत संस्थान है। इस संस्थान की मान्यता के बाद ही डीएलएड, बीएड तथा एमएड की डिग्री की देशभर में मान्यता होती है। परिषद की अभी हाल ही में 10 व 12 सितंबर 2022 को हुई 370 वीं बैठक के बिंदु संख्या 17 व 18 में राधाकृष्णन उच्च अध्ययन शिक्षण संस्थान, बीकानेर तथा राजकीय उच्च अध्ययन शिक्षण संस्थान अजमेर की मान्यता विड्रा करने का निर्णय लिया गया। इससे राज्य के इन दोनों सरकारी बीएड कॉलेजों में आगामी सत्र में पीटीईटी के माध्यम से होने वाले बीएड तथा प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होने वाले एमएड के कोर्स पर तलवार लटक गई है।
एनसीटीई ने बैठक में इन संस्थानों में निर्धारित मानदंडों के अनुसार शिक्षण कराने वाले शिक्षकों की सूची नहीं प्रस्तुत करने तथा जिस विश्वविद्यालय से इनकी डिग्री की मान्यता है, उस विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की सिफारिश नहीं होने की वजह बताई है। एनसीटीई एक्ट 1993 की धारा 17(1) के तहत विड्रा की कार्रवाई की गई है।
दोनों सरकारी बीएड-एमएड कॉलेजों में स्कूल शिक्षा के शिक्षक कार्यरत
एनसीटीई की ओर से उन्हीं बीएड एमएड कॉलेजों को मान्यता दी जाती है, जिनमें शिक्षण कराने वाले शिक्षक एमएड, पीएचडी, नेट-सेट किए हों, जबकि इन दोनों सरकारी बीएड-एमएड कॉलेजों में स्कूल शिक्षा के शिक्षक कार्यरत हैं। 24 अप्रेल, 2012 को राज्य सरकार ने शिक्षक शिक्षा को उच्च शिक्षा में शामिल कर लिया, लेकिन इनमें शैक्षणिक स्टाफ अभी भी स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन है। इसकी वजह ये बताई जाती है कि तत्कालीन शिक्षा सचिव वीनू गुप्ता की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में इन सरकारी कॉलेजों को स्कूल शिक्षा के अधीन ही रखने का निर्णय लिया गया, जबकि निजी बीएड महाविद्यालयों के कार्मिक तो वर्तमान में भी आयुक्तालय, कॉलेज शिक्षा के अधीन हैं।
6 माह में लेना था फैसला इन दोनों संस्थानों में राष्ट्रीयअध्यापक शिक्षा परिषद के निर्धारित मानदंडों के अनुसार संचालित नहीं होने को लेकर डा जितेंद्र शर्मा ने राजस्थान हाइकोर्ट जोधपुर में वर्ष 2019 में एक जनहित याचिका दायर की, जिस पर 1 दिसंबर 2021 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी तथा सुदेश बंसल की खंडपीठ ने एनसीटीई को इन दोनों कॉलेजों को जारी कारण बताओ नोटिस पर 6 माह में निर्णय लेने के आदेश दिए। खंडपीठ के इस आदेश पर एनसीटीई ने 7 मार्च तथा 5 अप्रेल-22 को इन संस्थानों को अंतिम नोटिस भी दिए, लेकिन इन दोनों सरकारी बीएड कॉलेजों ने एनसीटीई द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार संचालन की जानकारी नहीं दी। इस पर इनकी मान्यता रद्द करने का निर्णय लिया गया।