
कोटा। राजकीय कला महाविद्यालय कोटा में हिंदी विभाग की ओर से हिंदी दिवस पर हिंदी की परिधि के विस्तार पर परिचर्चा प्राचार्य प्रोफेसर रोशन भारती की अध्यक्षता में आयोजित हुई। प्रोफेसर रोशन भारती ने कहा कि भाषा अपनी पहचान के साथ साथ अपनी संस्कृति को अभिव्यक्त करने का सबसे बड़ा माध्यम है। हिंदी भाषा का प्रसार आज पूरी दुनिया में बहुत तेजी से हो रहा है इसके पीछे सहजता और हिंदी की सर्वसमावेशी स्वभाव वह मूल कारण है जिसके कारण वह सभी तक संप्रेषित हो जाती है। परिचर्चा में भाग लेते हुए इतिहास की प्रोफेसर निधि शर्मा ने कहा कि आज हिंदी ही नहीं हर भाषा के सामने खतरा उत्पन्न होता गया है। अब इमोजी की भाषा और रील में समय निकालने वाली पीढ़ी के पास कहां समय है कि वह भारी भरकम भाषा संदर्भ को देखे ऐसे में हमें सोशल मीडिया के जमाने में इस हिसाब से भी कंटेंट तैयार करना होगा। प्रोफेसर जया शर्मा ने कहा कि भाषा को दार्शनिक पर देखने की जरूरत है। भाषा हमें विचार और जीवन को जीने का सूत्र देते हैं। अंग्रेजी की सहायक आचार्य उन्नति जानू ने कहा कि हिंदी का विस्तार आज बहुत तेजी से हो रहा है, हिंदी के इस भाषिक विस्तार में इस समाज के विचार, जीवन चर्या और जीवन संस्कृति सब इस तरह से एक साथ गुथें हुए हैं कि हमें देश को समझने के लिए हिंदी में जाना ही होगा। चित्र कला विभाग के सह आचार्य डॉ रमेश चंद मीणा ने बताया कि हिंदी हमारे पालने की भाषा है , हिंदी से हम हैं और हिंदी ही हमारा अस्तित्व है। हिंदी के प्रोफेसर संजय कुमार लकी ने कहा कि हिंदी साहित्य की भाषा होने के साथ साथ संपर्क भाषा भी है, भारत को एक सूत्र में रखने की ताकत यदि किसी एक भाषा में है तो वह हिंदी ही है।
इस अवसर पर हिंदी के आचार्य प्रोफेसर रामावतार मेघवाल ने संचालन करते हुए कहा कि हिंदी खेत खलिहान से लेकर साफ्टवेयर तक की ऐसी भाषा है जो हर स्थिति में सहज और सरस संसार में मानवीय अस्तित्व की व्याख्या करते हुए आगे बढ़ती है। प्रोफेसर आदित्य कुमार गुप्त ने कहा कि निसंदेह हिंदी ने आज अपनी लोकतांत्रिक ताकत के कारण बहुत ज्यादा विस्तार किया है। हिंदी के इस प्रसार प्रचार में हमें हिंदी के मूल स्वरूप को बचाते रखने की जरूरत है। भूगोल के प्रोफेसर एच एन कोली ने कहा कि हिंदी आज सबकी जरूरत की भाषा है, जैसे जैसे हमारी जरूरत हिंदी में बढ़ेगी वैसे-वैसे हिंदी का विस्तार और विकास होता जायेगा। हमें हिंदी के साथ साथ अन्य भाषाओं को भी सीखने की जरूरत है। इस अवसर पर प्रोफेसर जीतेश जोशी ने कहा कि हिंदी भारतीय समाज को एक समन्वय सूत्र में बांधने वाली भाषा है, इस भाषा के माध्यम से हम अपनी आत्मा की ध्वनि को महसूस करते हैं।
राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर संदीप सिंह चौहान ने इस अवसर पर कहा कि हिंदी समन्वय सहयोग और संस्कृति की भाषा है। हिंदी को हमें सिद्धांत के साथ साथ व्यवहार में अपनाने की जरूरत है।
आज की हिंदी पर चर्चा करते हुए प्रोफेसर विवेक कुमार मिश्र ने कहा कि हिंदी का विस्तार शुरू से एक जनभाषा के रूप में हुआ है। हिंदी का आज जो विराट विस्तार दिखाई दे रहा है उसके पीछे हिंदी समाज की शक्ति है, आज हिंदी का विस्तार वैश्विक धरातल पर हो रहा है और नेट व तकनीक पर सवार होकर जिस तेजी से हिंदी विकास कर रही है वह सभी के लिए गौरव का विषय है।
कार्यक्रम में प्रोफेसर शालिनी भारती, प्रोफेसर सुमन गुप्ता, प्रोफेसर संध्या गुप्ता, प्रोफेसर अमिताभ बासु, डॉ मनोज सिंघल, डॉ राधा किशन मीणा डॉ सुप्रिया सेठ , गीता बाई मीना,आयुषी सिंघल , महावीर साहू, प्रोफेसर अनिल पारीक, डॉ बसंत लाल बामनिया, आदि की गरिमामय उपस्थिति बनी रही ।

















