आप की अधिक सीट की मांग से टूट गया एकता राग

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हरियाणा—-कांग्रेस-आप गठबंधन पर विराम

-कांग्रेस 5 सीटें देने को थी तैयार, आप मांग रही थी 10

 

-द ओपिनियन-
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटखनी देने की तैयारी में जुटी कांग्रेस की तैयारियों को फिलहाल एक करारा झटका लगा है। आम आदमी पार्टी के साथ उसका गठबंधन नहीं हो पाया है। रविवार रात तक खबर थी कि दोनों पार्टियों में लगभग सहमति बन चुकी है और सोमवार को सीटों के बंटवारे पर घोषणा हो जाएगी। जबकि सोमवार को हुआ इसके एकदम उलट। आम आदमी पार्टी ने पहले सीटों के बंटवारे पर उसकी शर्त मानने का अल्टीमेटम दिया और शाम होते होते उसने 20 सीटों पर आप प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। इसमें से 11 सीटें ऐसी हैं जो कांग्रेस का गढ़ कही जाती हैं या जहां पर कांग्रेस का प्रभाव अधिक माना जाता है। इसके बाद मंगलवार को उसने 9 और सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए। यानी गठबंधन की संभावनाओं पर फिलहाल विराम लग गया है। अब इस फैसले में बदलाव के आसार कम नजर आ रहे हैं। मीडिया में आई रिपोर्टों के अनुसार दोनों पार्टियों के बीच बातचीत इस बिंदु पर टूटी कि कांग्रेस उसकी मांग के अनुसार 10 सीटें देने पर तैयार नहीं हुई। कांग्रेस उसे पांच सीटें देने पर तैयार थी। पहले यही खबर आई थी कि आम आदमी पार्टी 5 सीटों पर राजी हो गई है। लेकिन बात नहीं बनी और सीटों पर असहमति का पेज फंस गया। ऐसा तब हुआ जब कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने खुद आप से गठबंधन की इच्छा जताई थी। सोमवार को आप की पहली सूची जारी होने से पहले आप की हरियाणा प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने कहा था कि शाम तक समझौता नहीं हुआ तो उनकी पार्टी हरियाणा की सभी 90 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम जारी कर देगी। आप अब तक 29 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी हैं। दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवार पर सहमति न बनने का सबसे ज्यादा फायदा या नुकसान किसको होगा,यह तो सभी सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा के बाद ही आकलन हो सकेगा; लेकिन एक बात साफ है कि कांग्रेस आप को अपने साथ नहीं ला सकी। हरियाणा में जननायक जनता पार्टी चंद्रशेखर आजाद की आजाद समजाज पार्टी-कांशीराम-के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है जबकि ओमप्रकाश चौटाला की इनेला ने बसपा के साथ गठबंधन किया है। इनेलो और जजपा दोनों की नजर अपनी चुनावी सफलता के लिए दलित वाटों को हासिल करने पर है। यही इस गठबंधन का गणित है। लेकिन कांग्रेस फिलहाल इस गणित को साधने में विफल रही हैं। हालांकि कांग्रेस नेताओं और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा के बीच शनिवार व रविवार को सीट शेयरिंग पर लंबी मंत्रणा हुई थी और उम्मीद भी बंधी थी लेकिन कामयाब नहीं हो सकी। अब लगातार दूसरे दिन प्रत्याशियों की सूची जारी कर आप ने भी संकेत दे दिया है कि वह गठबंधन के लिए कांग्रेस की शर्त मानने वाली नहीं है। हरियाणा में अब नामांकन दाखिल करने में एक दिन बचे हैं। ऐसे में गतिरोध दूर होने के आसार कम हैं। अब देखना यह है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहमति न बनने से संभावित नुकसान को कम करने के लिए क्या कदम उठाते हैं। यदि किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला और आप पांच सात सीटें भी निकालने में सफल हो गई तो फिर राजनीतिक परिदृश्य में आप का महत्व बढ जाएगा और आप अपनई शर्त मनवाने की स्थिति में भी आ सकती है।

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