
-राव इंद्रजीत के मुकाबले मनोहर लाल खट्टर की नही चली
-राजेन्द्र सिंह जादौन-
चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की ओर से मंगलवार को जारी 21 उम्मीदवारों की दूसरी सूची पर पार्टी के सर्वे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के फीडबैक का प्रभाव रहा है।सूची में केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह को संतुष्ट किया गया और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल समर्थक बाहर कर दिए गए।
इसमें ऐसे उम्मीदवार भी शामिल किए गए जिन्हें हारने पर भी टिकट मिला। इनमें 4 बड़े चेहरे शामिल हैं। फीडबैक और सर्वे जिनके खिलाफ रहा, उनके मंत्री या मोजूदा विधायक होने पर भी पार्टी ने टिकट काट दिया। मंत्री डॉ. बनवारी लाल और सीमा त्रिखा, समेत 7 विधायकों को दोबारा टिकट नहीं मिला।
दूसरी सूची में भाजपा ने केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत को संतुष्ट करने की कोशिश की। इस बार उनके विरोध पर 2 मोजूदा विधायकों का टिकट काट दिया। पहले 67 उम्मीदवारों की पहली सूची में विरोध काे दरकिनार कर उनके 4 कट्टर विरोधियों को टिकट दिया गया था।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर को भी हाईकमान ने झटका दिया है। उनके विरोध के बावजूद पटौदी से बिमला चौधरी को टिकट दिया गया। 2019 में खट्टर ने टिकट कटवा दिया था। इस बार राव की सिफारिश चल गई। खट्टर के करीबी रहे विधायक बनवारी लाल और सत्यप्रकाश जरावता का टिकट काट दिया गया।
अहीरवाल बेल्ट वाली दक्षिण हरियाणा में पार्टी के गढ़ में भाजपा हाईकमान ने जमकर उलटफेर किया। यहां भाजपा ने 5 मोजूदा विधायकों का टिकट काट दिया। इस सूची में भाजपा ने एक मुस्लिम नेता का टिकट भी काट दिया। दो मुस्लिम नेताओं पर भरोसा जताने का कारण वहां मुस्लिम वोट बैंक के दूसरे वर्ग से बड़ा होने की मजबूरी रही। एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए 14 नए चेहरे उतार दिए। जीटी रोड बेल्ट में भी नए चेहरों को मौका देने से गुरेज नहीं किया।हथीन, होडल, बड़खल, गन्नौर ऐसी सीटें हैं, जहां पार्टी के कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि आरएसएस के लोग भी विधायकों की कार्यप्रणाली से नाराज थे।
पटौदी सीट पर केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत के विरोध से विधायक सत्यप्रकाश जरावता का टिकट कट गया। लोकसभा चुनाव में गुरुग्राम सीट से राव को यहां से अच्छा समर्थन नहीं मिला। बावल से डॉ. बनवारी लाल पहले राव इंद्रजीत के करीबी थे। वह मंत्री भी बने। बाद में तत्कालीन सीएम खट्टर के करीबी हो गए। जिससे राव इंद्रजीत नाराज थे।
राई से मोहन लाल बड़ौली को टिकट नहीं मिली। चूंकि वह इस वक्त पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। पार्टी में एक पद, एक व्यक्ति की नीति के चलते उनकी चुनाव लड़ने की इच्छा पूरी नहीं हाे पाई।