
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस के जिला अध्यक्षों के साथ आलाकमान का दिल्ली में मैराथन मंथन चल रहा है। इसमें कांग्रेस को कैसे मजबूत किया जाए और पार्टी की रीती नीतियों को आम जनता तक कैसे पहुंचाया जाए इस पर गहन चिंतन और मंथन हो रहा है। मगर सवाल यह है कि क्या देशभर के जिला अध्यक्षों को दिल्ली बुलाकर उनके साथ मंथन करके पार्टी को मजबूत किया जा सकेगा। जिन जिला अध्यक्षों को दिल्ली बुलाकर मंथन किया जा रहा है वह भी अपने जिलों के बड़े नेता हैं। जो जिला अध्यक्ष दिल्ली पहुंचे हैं उनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंने अपने-अपने राज्यों में विधानसभा का चुनाव लड़ा है और हारे हैं। मतलब साफ है कांग्रेस को मजबूत करने के लिए नेताओं के साथ नहीं बल्कि राहुल गांधी के बब्बर शेर कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर मंथन और चिंतन करने की जरूरत है। लेकिन ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। यही वजह है कि कांग्रेस कमजोर है। यह कमजोरी दूर नहीं हो पा रही है क्योंकि कांग्रेस हाई कमान कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर मंथन नहीं कर रही है। मंथन कर रही है ऐसे नेताओं के साथ बैठकर जिन नेताओं के कारण कांग्रेस का आम कार्यकर्ता कुंठित और निराश होकर अपने घरों के भीतर बैठा हुआ है।
कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी जिले के नेताओं को दी जा रही है। यह वह नेता हैं जो राज्यों में विधानसभा का चुनाव हार कर बैठे हैं। यह नेता कांग्रेस को कैसे मजबूत करेंगे यह सबसे बड़ा सवाल है क्योंकि इनके कारण कांग्रेस का आम कार्यकर्ता कुंठित और निराश होकर अपने घरों में बैठे हैं।
सवाल एक और है। क्या कांग्रेस हाई कमान अपने द्वारा बनाई गई नीति और बात पर कायम रहेगा। क्योंकि जब भी किसी राज्य या देश के आम चुनाव होते हैं तब कांग्रेस हाई कमान गाइड लाइन जारी करता है। क्या राज्य और देश के आम चुनाव में हाई कमान के द्वारा बनाई गई गाइडलाइन का पालन होता है। शायद कभी नहीं होता। जब प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया शुरू होती है और प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं होती है तब तक हाई कमान की तरफ से नई-नई गाइडलाइन सामने आती है। लेकिन जब प्रत्याशियों के नाम की घोषणा होती है तब टिकटो का नेताओं के द्वारा आपस में बटवारा करने की बात सामने आती है। इसीलिए सवाल खड़ा होता है कि कांग्रेस को नेताओं के साथ बैठकर मंथन करने की जगह कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर मंथन करना चाहिए और कार्यकर्ताओं के अनुरूप नीति और गाइडलाइन बनानी चाहिए। आम जनता के बीच नेता नहीं कार्यकर्ता रहता है। कार्यकर्ता ही जनता के बीच कांग्रेस के इतिहास को बता सकता है।
कांग्रेस को मजबूत करने के लिए जनता के सामने ढिंढोरा पीटने की जगह गंभीरता से ब्लॉक स्तर पर कार्यकर्ताओं के सम्मेलन आयोजित हों और यह प्रोग्राम निरंतर जारी रहे जब तक की कांग्रेस अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर ले।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)