
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान में हाडोती किसान यूनियन ने प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों को हुए खराबे के सर्वे व मुआवजा देने के नियमों के सरलीकरण का आग्रह करते हुए कहा कि इन नियमों को व्यावहारिक बनाया जाना चाहिए ताकि प्राकृतिक आपदा के कारण जिन किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा है, उन्हे सरकार व वित्तीय संस्थाओं से यथोचित पर्याप्त मुआवजा मिल सके। इस सम्बंध में हाड़ोती किसान यूनियन के कोटा संभाग महामन्त्री दशरथ कुमार ने हाल ही में आई बाढ़ से सैंकड़ों किसानों को करोड़ों रुपए कि खरीफ की फसलों को हुई क्षति की भरपाई के लिए केन्द्र एवं राज्य के आपदा राहत नियमों में एवं प्रधानमंत्री फसल बीमा कि क्षतिपूर्ति के प्रावधान में शिथिलता बरतकर किसानों को राहत देने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार को पत्र प्रेषित किया है।
सर्वे-आंकलन से असमंजस की स्थिति
श्री दशरथ कुमार ने कहा है कि राजस्थान के कई हिस्सों सहित कोटा संभाग में अतिवर्षा से हुई फसलों कि क्षति का विभागीय स्तर पर किया गया सर्वे-आंकलन किसानों को लाखों हेक्टेयर में हुई फसलों कि क्षतिपूर्ति करने में असमंजस की स्थिति पैदा कर रहा है जिससे कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ जिलों के किसानों को करोड़ों रुपए कि हानि से राहत दिलाने के बजाये उनके नियमों के जाल में उलझे रहने की आशंका बन गयी है जिसको देखते हुए नियमों का सरलीकरण अत्यन्त आवश्यक है। हाड़ोती किसान यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार ने केन्द्र एवं राज्य सरकार को पत्र प्रेषित कर आग्रह किया है कि वर्ष 2022 के जुलाई-अगस्त माह में हुई अतिवर्षा से फसलों कि क्षति का आंकलन व्यक्तिगत खेत पर (रकबे के आधार पर) करवाकर केन्द्रीय एवं राज्य आपदा राहत नियमों में निर्धारित 33 प्रतिशत के आधार को समाप्त कर हुई फसल की क्षति की राहत पूर्ति की घोषणा कर लाखों किसानों को राहत पहुंचाई जाये।
बीमा कंपनियों को सूचित किए जाने के प्रावधानों में शिथिलता अपनाने का आग्रह
श्री दशरथ कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों ने कोटा संभाग में खरीफ कि फसलों का बीमा बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं को फसलों के आधार पर निर्धारित प्रीमियम का भुगतान ऋण प्राप्त करने एवं व्यक्तिगत स्तर पर किया गया है। उन्होने कहा कि बीमा कंपनियों की ओर से क्षति से प्रभावित किसानों को नुक्सान के बारे में 72 घंटे में बीमा कंपनियों को सूचित किए जाने के प्रावधानों में शिथिलता अपनाने का भी आग्रह किया है।
श्री दशरथ कुमार ने अपने पत्र में अवगत कराया है कि कोटा संभाग में विभागीय स्तर पर अधिकृत रूप से 11 लाख 73 हजार 103 हेक्टेयर भूमि में सोयाबीन,धान, मक्का, उड़द, मूंग आदि फसलों की खरीफ में बुआई के आधार पर फसलों में खराबा एक लाख 95 हजार हेक्टेयर भूमि में विभागीय सर्वे के आधार पर बताया गया है जिसके आधार पर केन्द्र एवं राज्य आपदा राहत नियमों में सम्मिलित नहीं किए जाने कि आशंका से किसानों में भ्रम की स्थिति पैदा होने लगी है। उन्होने केन्द्र एवं राज्य में सत्ता तथा प्रतिपक्ष के प्रतिनिधियों से आग्रह किया है कि राज्य एवं केन्द्र कि सरकार को क्षेत्र के किसानों के हित में काम करने का निर्देश देकर प्रभावित किसानों को व्यक्तिगत एवं रकबे के आधार पर फसलों के ख़राबे कि क्षतिपूर्ति कि राशि तत्काल उपलब्ध करवाये।