
-वर्तमान पंचायत राज व्यवस्था ने खेती और किसानी के अधिकारों को कुचला
कोटा। राष्ट्रीय किसान समन्वय समूह की तीन दिवसीय बैठक में देश भर से आए विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने एक स्वर से कहा कि वर्तमान में पंचायत राज व्यवस्था ने ग्राम स्वराज की मूल धारणा को तिरोहित कर खेती किसानी के अधिकार से ग्रामीणों को वंचित कर दिया है। सभी किसान संगठन ग्राम स्वराज को पुनर्जीवित करने के लिए अपने-अपने क्षेत्र में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
रविवार को भामाशाह कृषि उपज मंडी परिसर के किसान भवन में तीन दिवसीय बैठक के अंतिम दिन इस आशय का प्रस्ताव पारित किया। जिसके साथ विभिन्न राज्यों में किसान प्रतिनिधि गांव गांव जाकर किसानों को ग्राम स्वराज के प्रति जागृत करेंगे एवं जहां आवश्यकता हुई तो आंदोलन का भी सहारा लिया जाएगा।
राष्ट्रीय किसान समन्वय समूह के संयोजक दशरथ कुमार एवं हरियाणा राज्य किसान संगठन के अध्यक्ष डीके शर्मा, ग्रेटर नोएडा के सुनील फौजी ने संयुक्त रूप से बताया कि ग्राम सभा का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 40 में दर्ज है। 74वें संविधान संशोधन में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि भारतीय समाज में ग्राम गणराज्य एवं ग्राम सभा शुरू से रही है। इसको पुनर्जीवित करना और अवधारणा को लागू करना अति आवश्यक है। शासन प्रशासन ने इस महत्वपूर्ण विषय पर कोई ध्यान नहीं दिया। राष्ट्रीय किसान समन्वय समूह में तय किया है कि देश के सबसे सुंदर इस संस्थान को भारतीय नागरिक कल्याण के लिए जो भी कदम उठाना पड़े तो उठाया जाएगा। शासन प्रशासन को बताना होगा कि अब भारत का किसान उतना भोला नहीं है,अपने अधिकारों को ग्राम सभा में निहित अधिकारों को चुपचाप छिनने नहीं देंगे। बैठक में नव कर्नाटक रायता संघ के अध्यक्ष दयानंद पाटिल एवं महामंत्री एम बी जगदीश ने दक्षिण भारत में ग्राम स्वराज को लेकर अभियान चलाने का संकल्प लिया है। इन किसान नेताओं ने बताया कि 2 अक्टूबर 2026 को देश भर के 1 लाख गांव के किसान प्रतिनिधि हजारों की संख्या में जंतर मंतर पर नई दिल्ली में एकत्र होंगे। हाडोती किसान यूनियन के गिरिराज गौतम ने कहा कि राज्य सरकार केशव राय पाटन शुगर मिल को पुन: संचालित करें जो की ग्राम स्वराज की अवधारणा पर आधारित है। 80000 किसानों का भविष्य इस पर टिका हुआ है। संतोष सिंह साहनी ने इस बात पर चिंता जताई कि अन्नदाता किसान खाद के लिए लाइनों में लगा रहता है। हमारे जनप्रतिनिधि कहते हैं कि खाद की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। जयपुर के प्रोफेसर गोपाल मोदानी, आगरा के अंशुमान ठाकुर, मध्य प्रदेश किसान जागृति संगठन के इरफान जाफरी, रंजीत यादव, सहकार विशेषज्ञ राम गोपाल शर्मा आदि ने ग्राम स्वराज व्यवस्था को पंचायत राज की कठपुतली बनने पर रोष व्यक्त किया। चम्बल संसद के समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय ने कहा कि ग्राम स्वराज के विषय को राजनीतिक दल अपने चुनाव घोषणा पत्र में शामिल करें। इसके लिए किसान संगठनों को अपनी आवाज संयुक्त रूप से बुलंद करनी होगी। कथित विकास के नाम पर पर्यावरण को समाप्त करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।
केशवराय पाटन के किसान नेता अरविंद भूतिया,एडवोकेट हेमंत मालव डोलिया के सरपंच नंदलाल मेघवाल, जिला परिषद के सदस्य मुरली मीणा, उदयपुर के वीरेन लोबो के अलावा राष्ट्रीय युवा संगठन के संयोजक जगदीश शर्मा ने देशभर से आए किसान प्रतिनिधियों का अभिनंदन किया।

















