
-ए एच जैदी-

(नेचर प्रमोटर)
कोटा शहर के पास उम्मेदगंज एक ऐसा स्थान है जहां रियासत कालीन तालाब के किनारे घने पेड़ो के कारण गर्मी का एहसास नहीं होता। हालांकि यहां एक छोटा सा महल है और पास ही तालाब है। लेकिन तालाब में पानी नहीं है। तालाब में टाइफा बहुत अधिक संख्या में लगा है। जंगली झाड़ियों ने भी तालाब पर कब्जा कर रखा है।
प्रशासन को इस तालाब पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि इस तालाब में वर्ष भर पानी भरा रहे और बोट चले। यहां और पेड़ लगाने के साथ तालाब की सफाई की व्यवस्था की जानी चाहिए।

महाराव उम्मेद सिंह प्रथम द्वारा लगभग 250 वर्ष पूर्व विशाल तालाब, शिकार माले, शेर का पिंजरा और एतिहासिक गांव बसाया था। यहां के स्थानीय निवासियों का मुख्य कार्य खेतीबाड़ी है। लेकिन इस क्षेत्र के घने वृक्षों वाले भाग में असामाजिक तत्व आग लगाकर पेड़ो को जला देते हैं। इन पेड़ो पर लगे मधु मक्खी के छत्ते तोड़ देते हैं।
ऊंचे पेड़ो पर अनेकों प्रजातियों के पक्षी ओर कई प्रकार की तितलियां हमेशा देखी जा सकती हैं।
यहां एक वाच टावर बना है। उसे असामाजिक तत्वों ने नशे का अड्डा बना रखा है।

अक्सर देखा गया हे कि इस स्थान पर कई बार वो पक्षी दिखाई देते हे जो दूर जंगल में दिखते हैं।
कोटा के पास इतनी कम दूरी पर यह विरासत का नायब खजाना देख सकते हैं।
इंटेक कोटा भी इसके विकास के बारे में कार्यरत है।
यहां पुराने खंडर भी हैं। तिबारियां भी जो कभी भोजन शाला में काम आती थी। नौका विहार भी होता था। अगर इस तालाब में वर्ष भर पानी रहे तो नौका विहार भी हो सकता है।