
-धीरेन्द्र राहुल-

राजस्थान में भजनलाल सरकार को सत्ता में आए एक साल और आठ माह हो गए हैं लेकिन कोटा शहर में विकास ठप है. हमारे जैसे पत्रकार जो विकास की गाथा लिखने को लालायित रहते हैं, उन्हें भजनलाल सरकार ने एक तरह से नाकारा कर दिया है. चारों तरफ समस्याओं का अंबार है, विकास टार्च लेकर ढूंढना पड़ता है.
अशोक गहलोत के राज में कोटा में करनी कभी थमी नहीं.

विकास की कहानियों से अखबार भरे रहते थे, ऐसे में एक साल आठ महीने का सन्नाटा डराने वाला है.
पिछले दिनों मैंने मोदी काॅलेज से सटे नाले की कहानी लिखी थी. नगर निगम कोटा दक्षिण ने बड़े नाले में पतली सी पक्की नाली बनाकर नाले से हजारों टन कचरा और मिट्टी निकाली थी. इसका परिणाम यह हुआ कि लालबहादुर शास्त्री मार्ग से सटे नाले में आज स्वच्छ निर्मल जल बहता रहता है.

यह पहला काम था, अब दूसरा काम सूरजपोल गेट से परकोटे के तीसरे बुर्ज के बीच में दायीं मुख्य नहर पर ब्रिज ( पुल ) बनाने का काम है. नगर निगम ने 1 करोड़ 25 लाख रूपए की लागत का यह काम पवन कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपा है. कंपनी ने युद्धस्तर पर काम छेड़ रखा है, जिसे आप फोटो में देख सकते हैं.
यह सुखद आश्चर्य है कि किशोरपुरा गेट से सूरजपोल गेट तक कोटा का ऐतिहासिक परकोटा बहुत हद तक सुरक्षित है लेकिन दायीं मुख्य नहर की ऊंची ऊंची दीवारों से ढंके होने की वजह से उतना दिखाई नहीं देता कि आप गर्व से भर जाए लेकिन अब नहर पर पुल का निर्माण होने से आप सीधे परकोटे की पगथली में पहुंच जाएंगे. वहां विशाल मैदान है, जो अतिक्रमण से बचा रहा.

मौके पर निगम का कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं मिला, अपुष्ट सूत्रों के अनुसार नगर निगम वहां गैरेज या कचरा संग्रह केन्द्र बनाने की योजना पर काम कर रहा है. दूषित जल की निकासी के लिए नाला बनाने का काम चल रहा था. वहीं परकोटे की साइड वाली नहर की दीवार पर भी प्लास्टर करने का काम प्रगति पर है.
फिलहाल यह आम रास्ता है, साबरमती कॉलोनी में रहने वाले परिवार सूरजपोल गेट के पास एक संकरे रास्ते से होकर कॉलोनी में आया जाया करते है. भविष्य में पुल से होकर आने जाने की व्यवस्था हो सकती है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)
Advertisement