-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान में कोटा जिले के सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर ने एक बार फिर से अवैध खनन के मसले पर अपनी ही पार्टी की प्रदेश सरकार के खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया पर निशाना साधा और कहा कि जिन हालातों में भरतपुर जिले में महंत विजय दान ने आत्मदाह किया, उससे सबक सीखे जाने की आवश्यकता है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके। भरत सिंह ने 8 अगस्त को प्रदेश की मुख्य सचिव उषा शर्मा को भेजे एक पत्र में कहा कि भरतपुर जिले के जिन पहाड़ों को खनन माफिया के खोद कर नष्ट किए जाने से बचाने के लिए महंत विजयदान ने आत्मदाह किया था, वह खाने अवैध नहीं थी। प्रदेश के खनन विभाग ने ही पत्थरों के लिये खुदाई करके इन पहाड़ों का स्वरूप नष्ट कर देने के लिए उन्हें खनन माफिया को लीज कर दिया हुआ था तो गलती खनन विभाग के स्तर पर हुई है जिसने पर्वतों को खोद कर नष्ट कर देने के लिए लीज प्रदान कर दी जो सरासर अनुचित है लेकिन संतोष की बात यह कि तीन दिन पहले 5 अगस्त को मुख्य सचिव ने सचिवालय में बैठक करके इस खनन पर रोक लगा दी है जो संतोष की बात है।

पहाड़ों को काटकर प्रकृति एव पहाड़ों का सर्वनाश किया

भरत सिंह ने आरोप लगाया कि खनन विभाग की मिलीभगत से प्रदेश में अनेक स्थानों पर पहाड़ों को काटकर प्रकृति एव पहाड़ों का सर्वनाश किया जा रहा है। यदि मुख्य सचिव जांच करवाएंगी तो इस तथ्य की पुष्टि हो जाएगी कि पहाड़ों का स्वरूप नष्ट करने के लिए खोदी जा रही इन खदानों में से ज्यादातर को खनन विभाग ने ही विधिवत लीज पर दिया हुआ है। हालांकि वैध लीज की आड़ में पहाड़ी क्षेत्रों में अवैध खनन भी हो रहा है लेकिन इसके लिए तो दोषी तो खनन विभाग ही है जिससे पहाड़ों को भी खनन के लिए लीज पर दे डाला।

अवैध खनन माफियाओं की ओर किया ध्यान आकर्षित

बूंदी जिले में सक्रिय अवैध खनन माफियाओं की ओर मुख्य सचिव का ध्यान आकर्षित करते हुए भरत सिंह ने कहा कि कोटा से जयपुर के रास्ते में बूंदी की टनल, सथूर गांव और इंद्रगढ़ कस्बे के पास पहाड़ों की चोटियों पर तो हरियाली नजर आती है लेकिन उनकी तलहटी वाले हिस्से में निरंतर खनन करके प्रकृति एव पर्वतों को नष्ट किया जा रहा है। यह खनन सरकारी कागजों में तो वैध हो सकता है लेकिन जिस तरह से पर्यावरण के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, उसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। भरतपुर जिले में महंत विजयदान में ऐसे ही आदिनाथ, कनकाचंल पर्वतों को खनन माफियाओं द्वारा खोदे जाने से रोकने के लिए 551 दिन तक लगातार आंदोलन करने के बाद ही इस मसले के प्रति सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए आत्मदाह किया था।

प्रदेश के पहाड़ों-नदियों को बचाना कठिन हो जाएगा

भरत सिंह ने कहा कि- “खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने अपने निर्वाचन क्षेत्र अंता में अपने भागीदारों को तीन खानें लीज पर दिलवाई है। खनन विभाग के अनुसार यह तीनों खानें वैध हैं लेकिन मैं विजयनाथ की भाषा बोल रहा हूं कि यहां भी जो कुछ भी हो रहा है, वह अवैध है। इस खनन को रोकने के लिए महन्त का दिखाया मार्ग ही सही राह है तो हमें उसी पर चलना चाहिए।” भरत सिंह ने कहा कि समूचा देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर अमृत महोत्सव मना रहा है। इन बीते 75 सालों में देश में अथाह विकास हुआ है लेकिन इस दौरान प्रकृति के साथ भी भयावह खिलवाड़ किया गया है। वर्ष 2047 में देश की आजादी की सदी का साल आते-आते तो प्रदेश के पहाड़ों-नदियों को बचाना कठिन हो जाएगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)

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श्रीराम पाण्डेय
श्रीराम पाण्डेय
2 years ago

मनुष्य जाति को प्राकृतिक आपदाओं से बचाना है तो वन, पर्वत तथा नदियों के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखना जरूरी है। पर्वत क्षृंखलाएं पर्यावरण संरक्षण की कुंजी है। यह मौसमी तूफान, गर्म हवाओं से राजस्थान की आवाम का सुरक्षा कवच है। पहाड़ों का अंधाधुंध खनन,राज्य की तिजोरी भर सकता है लेकिन इसके दुष्परिणाम समस्त चेतन जगत को भुगतना पड़ेगा