कड़क चाय

tea

– विवेक कुमार मिश्र

vivek kumar mishra
विवेक कुमार मिश्र

कड़ाके की सर्दी में कोई और नहीं
कड़क चाय ही राहत दिलायेगी
हाड़ तक जब कांपने लगे तो आदमी को
सबसे पहले चाय की याद ही आती है
सुबह हो या शाम
इस सर्द मौसम में हथेली को
गर्माहट चाय की गिलास पकड़ने पर ही आती है
समझ लें कि इस मौसम में आदमी को चाय की गिलास मिल गई तो वह मन से अमीर हो जाता है
जब सब कुछ गल रहा हो
जब बर्फानी हवाएं चीरते हुए निकल रही हों तो कामकाजी आदमी के लिए
चाय तो अमृत हो जाती है
कवि जी चाय पर जाग जाते हैं
और चाय के साथ ही चेतना के तंतु को
चाय के साथ ही दौड़ता रहता है
आदमी कुछ करें या न करें
पर इन दिनों में चाय को
राहत की तरह गर्माहट की तरह जीता है
इन दिनों में चाय
सीधे सीधे गर्माहट के रूप में आती है
एक चाय ही तो है जो ठंडी में
राहत बन कर आदमी के आसपास आती है
इन दिनों में धूप का पता नहीं चलता
पर चाय राहत देकर अपना पता दे देती है ।

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