भरी दोपहरी में बरगद शिक्षा और छाया साथ साथ देता है

whatsapp image 2025 04 19 at 17.27.52

– विवेक कुमार मिश्र

vivek mishra 162x300
डॉ. विवेक कुमार मिश्र

सूरज की किरणें आग बरसा रही हैं, चारों ओर से ताप ऐसे उठ रहा है कि कहीं भी राहत की कोई उम्मीद नहीं दिखती । हर कोई गर्मी के इस तेवर से हैरान परेशान है । गर्मी के दिन तो सुबह से ही चमकने लगते हैं, दिन इतना तपता और चमकता है कि हर आदमी गर्मी में बस बरगद के नीचे आना, बरगद की चर्चा करना और बरगद के नीचे बैठ कर ज्ञान पर विचार विमर्श करना मानव स्वभाव बन जाता है। बरगद बराबर से अपने होने की उपस्थिति दर्ज कराता रहा है । जब भी माथे पर बिना किसी बात के पसीना आ जाएं तो समझ लेना चाहिए कि गर्म हवाओं का दौर चलना शुरू हो गया है । जब ये गर्म हवाएं चल रही होती हैं तो सब कुछ बस जल रहा होता है । राहत कहीं नहीं मिलती । इस समय यदि आप कहीं भी जा रहें हैं तो किसी भी हालात में राहत नहीं दिखती। गर्म हवाओं का कहर बरप रहा है, सब बस आसमान की ओर देख रहे हैं और यह भी तय है कि आसमान से जो आग बरस रही है वह आंखों के रास्ते ही तन मन पर इस तरह से छा जाती है कि आदमी बिना बात के ही गर्मी गर्मी चिल्लाने लगता है। अब क्या कहा जाए गर्मी है तो है और गर्म हवाओं के दौर में गर्मी का अहसास भी होना ही चाहिए । अब आप कार में हों या बाहर राहत तो तभी मिलेगी जब किसी पुराने दरख़्त की छाया में आ जाएं। पुराने दरख़्त की जब बात चलती है तो सीधी सी बात है कि पुराने नीम , आम , पाकड़ , वरगद या पीपल की ही बात कर रहे हैं और ये सारे पुराने दरख़्त सड़कों के किनारे मिलते हैं वो भी पुरानी सड़कों पर। नई सड़कें तो अभी बस कंक्रीट की सड़कों के रूप में आग ही बरसा रही हैं और इन सड़कों पर जो पेड़ हैं भी वो बस शोभाकारक ही हैं। छाया तो पुराने पेड़ से ही मिलती है और उसमें भी वरगद का पेड़ हो तो फिर क्या कहना… फिर तो आराम से बरगद के नीचे बैठ जाइए । इस समय जैसे जैसे गर्मी का तीखा अहसास हो रहा है वैसे वैसे बरगद मगन होकर फूट रहा है । इन दिनों बरगद पर नई नई पत्तियां फूट रही हैं। पहले ललछौंह और लाल होते होते एकदम से हरी हो जाती ये पत्तियां राहत की पत्तियों के रूप में बतियाने लगती हैं। आसमान से कितनी ही आग क्यों न बरस रही हों पर वह आग इन पत्तियों से छनकर नीचे तक नहीं आ पाता । भरी दोपहरी में बरगद के नीचे बैठ जाइए, बरगद एक सिरे से शिक्षा और ज्ञान बांटना शुरू कर देता है । इसी के नीचे तो सभी को आसरा मिलता है। जिसे कहीं आराम करने की जगह न मिले, जिसे कूलर पंखा की हवा न मिले वह इसी के नीचे तो सारा समय काट देता है । बरगद के यहां बैठते ही आदमी को बरगद की जड़ों की तरह ही अपने भीतर ज्ञान फूटते हुए ही दिखने लगता है । सोचता रहता हूं कि कौन बरगद की मूल जड़ है तो कुछ भी समझ में नहीं आता हर जड़ तो पेड़ बन नये सिरे से खिलने और आश्रय देने के लिए तैयार रहता है । पत्ते ऐसे चमकते हैं कि बस देखते रहिए । जब पत्ते नये सिरे से फूटते और चमकते हैं तो मन करता है कि पूंछ लूं दादा बरगद से कि दादा कहां से इतनी चमक लाते हों ? हर भाव अभाव में इतना खिलने का साहस कहां से लाते हो तो बरगद बस हल्के से मुस्कुरा कर कहता है कि यह सब अपनी जड़ों से लाता हूं । बहुत गहरे जाना होता है जड़ें जब पाताल तक जाती हैं तब जाकर पानी मिलता है और वहीं पानी वहीं चमक लाकर तुम सबको सौंप देता हूं कि बरगद की तरह रहो । शांत भाव से, अपने स्वभाव में स्थिर होकर जीवन का आनंद लो । जो अपने में स्थित होकर जीवन का आनंद लेते हुए अपने आसपास का जीवन गढ़ता है वहीं सच में बरगद की तरह जीवन जीता है । बरगद का पाठ कुछ इस तरह से है कि वह अपने आसपास की दुनिया को सीख देता है अपने लोगों की रक्षा करता है, अपने लोगों के साथ कदम बढ़ा कर चलता है । बरगद की शिक्षा को कुछ इस तरह से क्रम में रखते हैं –
1. बरगद विशाल होता है और अपनी विशाल परिधि में सभी को जगह देता है। बरगद ये नहीं सोचता कि उसके नीचे कौन आ रहा है तो कौन नहीं आ रहा है । वह तो अपने नीचे आए हर आदमी को आश्रय देता है ।
2. बरगद के नीचे सभी जन को जगह मिल जाती है । जब आदमी धूप से परेशान हो जाता है तो उसे बरगद ही जगह देकर बचाता है । बरगद की छांव में छाया तो मिलती ही मिलती है और ज्ञान का विस्तार भी मिल जाता है ।
3. एक बरगद अनेकों को अपने नीचे जगह दे देता है । किसी से यह भी नहीं कहता कि बदले में मुझे कुछ चाहिए । वह तो चुपचाप ऐसे ही पड़ा रहता है ।
4. बरगद पर जीव , जंतु , पक्षी सभी को अपनी जरूरत की चीजें मिल जाती । पक्षी इसके फल को खाकर तृप्त होते रहते हैं तो वहीं आदमी भी जब तब बहुत भूंख लग जाती है तो भूंख मिटाने के लिए बरगद के फल खा लेता है ।
5. बरगद के नीचे हर समय छाया ही छाया रहती है । इसलिए तो हर समय बरगद के पेड़ के नीचे ज्ञान का रसास्वादन लेते हुए लोग मिल जाते हैं ।
यह तय है कि बरगद यदि आपके आसपास है तो फिर तय मानकर चलिए गर्मियों में भी आपके लिए राहत जैसी बात है । छायादार बरगद हर तरह के मौसम की मार से बचाता आ रहा है ।

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments