सभी के हैं सितारे आसमाॅं पर। किसी के हाथ कुछ आता नहीं है।।

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ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

shakoor anwar
शकूर अनवर

*
मुहब्बत का कहीं जज़्बा* नहीं है।
जो दुनिया थी, ये वो दुनिया नहीं है।।
*
चमन में जब कोई ख़तरा नहीं है।।
फिर अपना हाल क्यूँ अच्छा नहीं है।।
*
सभी के हैं सितारे आसमाॅं पर।
किसी के हाथ कुछ आता नहीं है।।
*
अभी अच्छे दिनों में जी रहे हैं।।
अभी मौसम कहीं बदला नहीं है।।
*
नहीं आया हमें इन्कार करना।
कहीं से सर कोई उठता* नहीं है।।
*
मैं अपनी जेब में रखता हूँ दुनिया।
मगर इस जेब में बटुआ नहीं है।।
*
हम इस मिट्टी से नफ़रत क्यूँ करेंगे।
इसी मिट्टी में क्या मिलना नहीं है।।
*
क़लम भी,साथ में दुनिया का ग़म भी।
हमारे पास “अनवर” क्या नहीं है।।
*
शब्दार्थ:-
जज़्बा*जोश,भावना
सर उठाना*बग़ावत,विरोध करना
शकूर अनवर
9460851271

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