डाल से टूटे, अपनों से बिछड़ कर भी, हर हाल में #मुस्कुराता है फूल

akhi
फोटो अखिलेश कुमार

-मनु वाशिष्ठ-

manu vashishth
मनु वशिष्ठ

सोचे एक फूल, क्या यही है जिंदगी ?
प्रभु को अर्पण के लिए फूल,
रूठे को मनाने के लिए फूल,
गजरे में सजाने के लिए फूल,
सेजों पर बिछाने के लिए फूल,
बगिया को महकाने के लिए फूल,
शादी में हार पहनाने के लिए फूल,
शुभकामनाओं के लिए फूल,
प्रेमी को भेंट देने के लिए फूल,
कई बार देखे हैं, किताबों में सूखे फूल,
तो कभी शव पर चढ़ाने के लिए फूल,
शायद यही है जिंदगी…
डाल से टूटे, अपनों से बिछड़ कर भी,
हर हाल में #मुस्कुराता है फूल
एक दिन जाना है सब को,
फिर कैसा डर ?
यही सिखाता है फूल
दो नयन #कमलदल से,
नेत्रदान से नहीं सकेगा कोई भूल,
मरकर भी गर काम आ सके किसी के,
आसानी से सीख दे जाता है फूल,
कभी सिर का ताज तो,
कभी मिट्टी में मिल जाता है फूल,
और शायद यही है, जिंदगी…
सोचे एक फूल, हां! यही है जिंदगी।

__ मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राजस्थान

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Neelam
Neelam
2 years ago

आपकी इतनी सुंदर कविता व सोच के लिए आपको एक फूल????????

Manu Vashistha
Manu Vashistha
Reply to  Neelam
2 years ago

Thank u soooooo much ????