
-Nirdesh Nidhi
“यह तस्वीर अप्रैल 2025 में धराली की ली गई है। जो पूरा पंखे के आकार जैसा इलाका आप देख रहे हैं, वह वास्तव में ‘खीर गाड़’ नाम की नदी द्वारा सदियों से बहते हुए प्राकृतिक रूप से बना हुआ ‘एलुवियल फैन’ (गाद से बनी समतल भूमि) है, जो नीचे भागीरथी नदी में जाकर मिलती है।
स्थानीय लोगों ने भागीरथी की मुख्य धारा के भीतर काफी अंदर तक एक मजबूत पत्थरों की दीवार (रेटेनिंग वॉल) बना दी है, और खीर गाड़ के प्राकृतिक बहाव को मोड़ने के लिए उसकी घुमावदार धारा के साथ-साथ ‘पुश्ते’ (बंध) बना दिए हैं। फिर इस कृत्रिम रूप से बनाए गए सुरक्षित ज़मीन पर मकान, होटल और बग़ीचे उगा दिए गए हैं — इस भरोसे के साथ कि अब इस मौसमी नदी पर उनका काबू हो गया है।
हो सकता है कि ऐसा कोई बड़ा सैलाब या तेज़ बहाव 10, 20 या 50 सालों में न आया हो, या शायद आज की पीढ़ी ने कभी देखा ही न हो — लेकिन अतीत में यह कई बार हुआ होगा, तभी तो यह प्राकृतिक भू-आकृति बनी है। जब भी ऐसा सैलाब दोबारा आता है, तो वह हमेशा अपने पुराने, प्राकृतिक रास्ते को ही खोजेगा — और यही इस बार भी हुआ। कीचड़ और मलबे का तेज बहाव बड़ी आसानी से उस ‘मजबूत’ पुश्ते को तोड़कर उसी समतल ज़मीन पर फैल गया, जिसे कुदरत ने नदियों के बहाव के लिए रखा था। इस इलाके में कभी भी कोई निर्माण या बसावट नहीं होनी चाहिए थी।
और यही कहानी पहाड़ों में हर जगह, और देहरादून के आसपास के इलाकों में बार-बार दोहराई जा रही है।”