
-धीरेन्द्र राहुल-

ये फोटो कोटा शहर में माणिक भवन के सामने पार्क के लिए छोड़ी गई जगह में पुराने गन्दे से टॉयलेट को ध्वस्त कर बनाए गए नए टाॅयलेट के हैं।
ये फोटो गत 19 मई को खींचे गए थे लेकिन मैंने पोस्ट 9 जून को लिखी थी यानी ठीक बीस दिन बाद. इस टाॅयलेट के ताले गत 20 सितम्बर को खोल दिए गए. ताले खुलने में चार माह का समय लगा. एक तेजी से बढ़ते शहर के लिए यह अवधि बहुत ज्यादा है.
देर तो हुई लेकिन सकारात्मक बात यह हुई कि नगर निगम ने पुरूषों के लिए भी टाॅयलेट का निर्माण प्रारंभ करवा दिया है. यह पांच पाॅट वाला होगा. लाथ में एक वाॅशबेसिन भी होगा. निगम के ठेकेदार ने शीला बाई को पिंक टॉयलेट की
24 घण्टे देखरेख के लिए नियुक्त किया है.

गत 9 जून की पोस्ट में मर्दाना टाॅयलेट के लिए मैंने ये पंक्तियां लिखी थी—–
“इस शानदार टॉयलेट को पिंक टॉयलेट बनाया गया है यानी महिलाओं को समर्पित किया गया है। पहले यहां शहर का सबसे गन्दा मूत्रालय था लेकिन वह पूरी तरह पुरूषों को समर्पित था। अब सवाल यह है कि वे सारे मर्द अब कहां खल्लास होंगे? एक तरफ शहर दिनदुना, रात चौगुना बढ़ता जा रहा है, जनसंख्या बढ़ती जा रही है और हमारे नगर निगम के कर्ताधर्ता आधी आबादी ( पुरूष वर्ग ) से उसको पहले से मिल रही जन सुविधाएं छीन रहे हैं। नगर निगम को बताना चाहिए कि शहर के मर्द अब कहां जाएंगे?”