
-देवेंद्र यादव-

भारतीय राजनीति में 2 मई शुक्रवार एक ऐसा दिन था, जिसने देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों भाजपा और कांग्रेस और उनके दो सबसे बड़े नेताओं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपने भविष्य की राजनीति के इरादे स्पष्ट कर दिए। जिन लोगों को केंद्र सरकार के द्वारा 30 अप्रैल को जातिगत जनगणना कराए जाने की घोषणा करने पर संशय और संदेह था, उस संशय और संदेह पर से शायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी दोनों ने पर्दा हटा दिया है।
2 मई को दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि हम जातिगत जनगणना के मुद्दे को नहीं छोड़ेंगे। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केरल में विझिनजाम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह का उद्घाटन कर रहे थे और शायद यह मैसेज दे रहे थे कि मोदी अडानी का साथ नहीं छोड़ेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल में विझिनजाम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह का उद्घाटन करते हुए कहा की आज के इवेंट से कई लोगों की नींद हराम हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह संदेश किसको दिया और किसके पास पहुंचा यह तो मोदी ही जानते हैं लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह संदेश उन तक पहुंच गया। मतलब यह है कि राहुल गांधी देश में जो जातिगत जनगणना करवाना चाहते हैं, शायद वैसी जनगणना होगी नहीं। राहुल गांधी चाहते हैं कि देश में आर्थिक समानता हो। इसके लिए राहुल गांधी अक्सर संसद से लेकर सड़क पर यह कहते हुए दिखाई देते हैं कि देश में आर्थिक असमानता है। देश का अधिकांश धन चुनिंदा लोगों के पास है। राहुल गांधी धन्ना सेठ का जिक्र करते हैं और जिक्र अडानी का बार-बार करते हैं।

केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल को देश में जातिगत जनगणना कराए जाने का फैसला किया। इस फैसले के बाद कांग्रेस ने अपनी वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई और बैठक में समवेत स्वर में सभी वर्किंग कमेटी के सदस्यों ने जातिगत जनगणना कराए जाने पर इसका श्रेय राहुल गांधी को दिया। कांग्रेस ने घोषणा की कि कांग्रेस जातिगत जनगणना के मुद्दे को तब तक नहीं छोड़ेगी जब तक की देशभर में जाति जनगणना पूर्ण नहीं हो जाएगी। वहीं दूसरी तरफ 2 मई को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विझिनजाम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह का उद्घाटन किया और कहा कि इंडिया गठबंधन के सबसे मजबूत घटक दल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और कांग्रेस के सांसद शशि थरूर मंच पर बैठे हैं। इस इवेंट को देखकर आज कई लोगों की नींद उड़ जाएगी।

मैंने 1 मई को अपने ब्लॉग में लिखा था कि कांग्रेस को जातिगत जनगणना पर जश्न नहीं बल्कि मंथन करना चाहिए। कांग्रेस हाई कमान को यह स्वीकार करना चाहिए कि मौजूदा वक्त में कांग्रेस के पास ना तो परिपक्व और मजबूत रणनीतिकार हैं जो भाजपा की भाषा और उसके इरादों को पहले ही भांप लें और निर्णय करें। मौजूदा वक्त में भाजपा के पास परिपक्व और मजबूत रणनीतिकार हैं। भाजपा के रणनीतिकार अपनी रणनीति का अपने विरोधियों को पता तक नहीं चलने देते। इसका उदाहरण जाति जनगणना की घोषणा करना है। जब दिल्ली में कैबिनेट की बैठक पहलगाम हमले को लेकर चल रही थी लेकिन बैठक से निकल कर आया कि केंद्र सरकार देश में जातिगत जनगणना करवाएगी। यह घोषणा सुनकर सनसनी फैल गई और बहस होने लगी की क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राहुल गांधी के सामने झुक गए। सोशल मीडिया पर खबर चलने लगी की देश के प्रधानमंत्री भले नरेंद्र मोदी हैं लेकिन सरकार राहुल गांधी चला रहे हैं। तरह-तरह की बातें राजनीतिक गलियारों और सोशल मीडिया पर तैरने लगी। लेकिन यह किसी को पता नहीं था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 मई को केरल में विझिनजाम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह का उद्घाटन करेंगे और वहां से कांग्रेस और राहुल गांधी को संदेश देंगे की तुम चाहे कितना भी कुछ कर लो हम अडानी का साथ नहीं छोड़ेंगे। यह तो स्पष्ट हो गया कि भाजपा सरकार किसी के दबाव में आकर देश में जातिगत जनगणना नहीं करवाएगी। प्रधानमंत्री अपने विवेक से जाति जनगणना करवाएंगे। जिसका संकेत उन्होंने केरल से दे दिया है। इसीलिए मैंने कहा था कांग्रेस को जश्न नहीं मंथन करना चाहिए। कांग्रेस हाई कमान को ऐसे रणनीतिकार ढूंढने चाहिए जो भारतीय जनता पार्टी के इरादों को पहले से ही भांप लें।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)