जब सिर पर हाथ हो बुजुर्गों का तो राहुल गांधी को किस की चिंता!

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-देवेंद्र यादव-

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देवेन्द्र यादव

जब बुजुर्गों का सर पर हाथ हो तो फिर डरने की क्या बात! राहुल गांधी की हिम्मत का राज शायद यही है। राहुल गांधी को यह हिम्मत अपनी कन्याकुमारी से कश्मीर तक की भारत जोड़ो यात्रा से मिली। कन्याकुमारी से कश्मीर तक बुजुर्गों ने उनके सिर पर हाथ रख माथा चूमा और आगे बढ़ने के लिए आशीर्वाद दिया। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ऐसी अनेक तस्वीरें देखने को मिली, जब राहुल गांधी बुजुर्गों से आशीर्वाद लेते हुए और उन्हें गले लगाते हुए नजर आए। भारत जोड़ो यात्रा ने ही राहुल गांधी को बुजुर्ग नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का साया राजनीतिक हमसफर के रूप में दिया। भारत जोड़ो यात्रा के दरमियान ही खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और तब से राहुल गांधी के साथ साया बनकर खड़े रहे। मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में पहली बार राहुल गांधी को बड़ी हिम्मत मिली। कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 99 सीट जीती जिससे राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बने। गत दिनों राहुल गांधी ने कहा था कि मेरी बहन प्रियंका गांधी कहती हैं तुम आग से खेल रहे हो। तब राहुल गांधी ने कहा मुझे डर नहीं लगता। राहुल गांधी को डर इसलिए नहीं लगता है क्योंकि उनके माथे पर हाथ मां सोनिया गांधी और खडगे का हाथ है। वे हमेशा राहुल गांधी के साथ खड़े नजर आते हैं उन्हें हिम्मत देते हैं। बुजुर्गों की हिम्मत का ही परिणाम है कि राहुल गांधी ने 7 अगस्त गुरुवार के दिन, चुनाव आयोग के द्वारा मतदाता सूची में किए जा रहे खेल का पर्दाफाश किया। जब राहुल गांधी ने यह ऐलान किया था कि वह राजनीतिक बम फोड़ने वाले हैं, तब सत्ता पक्ष भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और मुख्य धारा के मीडिया पर बैठ कर डिबेट करने वाले लोगों ने उनका मजाक उड़ाया था। मगर राहुल गांधी ने मतदाता सूचियों की अनियमितताओं की एक-एक कर परत खोलना शुरू किया, तब वह लोग सन्न रह गए।

राहुल गांधी ने शुक्रवार 8 अगस्त को कर्नाटक की धरती पर जाकर, कहां कि चुनाव आयोग ने आपके वोटो की चोरी की है। इसके खिलाफ आपको आवाज उठानी चाहिए और संविधान की रक्षा कर लोकतंत्र को बचाना चाहिए। whatsapp image 2025 08 09 at 09.16.20कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे कर्नाटक के हैं और राहुल गांधी ने मतदाता सूचियो की अनियमितता भी कर्नाटक की महादेव पुरम विधानसभा सीट की पकड़ी। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। सवाल यह है कि क्या कर्नाटक केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ राजनीतिक टर्निंग पॉइंट होगा। कर्नाटक से ही सारे देश में मतदाता सूचियों में अनियमिताओं का पर्दाफाश होगा। एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर बाकी सभी राजनीतिक दल राहुल गांधी के द्वारा उठाए गए मतदाता सूचियों की अनियमितता के नाम पर एकजुट हो जाएंगे। इंडिया घटक दल के नेता तो इस मुद्दे पर एकजुट नजर आ रहे हैं मगर क्या एनडीए के घटक दल भी साथ आ जाएंगे। इस पर नजर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की अधिक होगी। चुनाव आयोग राहुल गांधी के बयान पर उनसे हलफनामा देकर शिकायत करने की मांग कर रहा है। लेकिन एक सवाल यह है कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए एक कमेटी बना रखी है जिसमें प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष सदस्य होते हैं। जिनकी सहमति के बाद चुनाव आयुक्त की नियुक्ति होती है। मौजूदा वक्त में राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। स्वाभाविक है कि राहुल गांधी उस समिति के सदस्य हैं, और भारत के निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की सहमति भी रही होगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिस नेता की भारत के चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में सहमति है क्या वह नेता चुनाव आयुक्त से सवाल भी नहीं पूछ सकता। चुनाव आयुक्त से जानकारी भी नहीं ले सकता। क्या उसे जानकारी लेने के लिए शपथ पत्र देना होगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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