
दिल्ली में कांग्रेस बिहार से ज्यादा कमजोर थी। दिल्ली में कांग्रेस के पास ना तो कोई अपना विधायक था और ना ही कोई सांसद है। इसके बावजूद कांग्रेस ने दिल्ली में मजबूती के साथ चुनाव लड़ा। जबकि बिहार में कांग्रेस के पास 10 से अधिक विधायक हैं और तीन सांसद हैं। बिहार में कांग्रेस के पास मजबूत नेतृत्व नहीं है और ना ही कांग्रेस के पास बिहार में मजबूत राष्ट्रीय प्रभारी है। राहुल गांधी को अभी से इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।
-देवेंद्र यादव-

दिल्ली विधानसभा चुनाव 5 फरवरी को संपन्न हो गए हैं और 8 फरवरी को चुनाव के परिणाम भी सामने आ जाएंगे। कांग्रेस को अपने बारे में पता है कि दिल्ली के परिणाम क्या होंगे, मगर कांग्रेस बिहार में क्या करेगी जहां इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसके लिए कांग्रेस को चुनावी रणनीति बनाने में जुट जाना चाहिए। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की 15 दिनों में दो यात्राओं ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। राहुल गांधी की यात्रा ने हलचल इसलिए मचा रखी है क्योंकि कहा जाता है कि वह राज्यों का दौरा नहीं करते हैं इसलिए कांग्रेस राज्यों में कमजोर है। मगर एक के बाद एक 15 दिनों में राहुल गांधी ने बिहार की दो यात्राओं से बिहार के नेता और कार्यकर्ता सक्रिय हुए और बिहार में कांग्रेस चुनाव से पहले नजर आने लगी। राहुल गांधी की दोनों यात्राओं के समय बिहार के पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने राहुल गांधी के स्वागत और सम्मान में पटना को बैनर और पोस्टर के माध्यम से कांग्रेस मय बना दिया। यह सिलसिला बिहार चुनाव के परिणाम आने तक जारी रहे, यह सबसे बड़ी बात है।
सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस दिल्ली की तर्ज पर बिहार में भी अपनी दम पर विधानसभा का चुनाव लड़ेगी।
दिल्ली में कांग्रेस बिहार से ज्यादा कमजोर थी। दिल्ली में कांग्रेस के पास ना तो कोई अपना विधायक था और ना ही कोई सांसद है। इसके बावजूद कांग्रेस ने दिल्ली में मजबूती के साथ चुनाव लड़ा। जबकि बिहार में कांग्रेस के पास 10 से अधिक विधायक हैं और तीन सांसद हैं। बिहार में कांग्रेस के पास मजबूत नेतृत्व नहीं है और ना ही कांग्रेस के पास बिहार में मजबूत राष्ट्रीय प्रभारी है। राहुल गांधी को अभी से इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। राहुल गांधी बिहार को लेकर गंभीर भी दिखाई दे रहे हैं। राहुल गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली के सुशील पासी को राष्ट्रीय सचिव बनाकर बिहार का सह प्रभारी लगाया। राहुल गांधी का बिहार का दूसरा दौरा राहुल गांधी ने पासी के आग्रह पर ही बनाया, क्योंकि 2025 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को तीन लोकसभा क्षेत्र जीतने का अवसर मिला। साफ है कि बिहार में कांग्रेस का कार्यकर्ता और मतदाता मौजूद है। कांग्रेस को बिहार में जरूरत है तो अपने कार्यकर्ताओं और पारंपरिक मतदाताओं को एक जुट करने की।
राहुल गांधी की दोनों यात्राएं कुछ इसी तरह के संकेत दे रही है कि कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं और पारंपरिक मतदाताओं को एकत्रित करने में लग गई है। मगर यह तभी होगा जब बिहार में कांग्रेस का नेतृत्व और राष्ट्रीय प्रभारी मजबूत होगा।
बिहार में कांग्रेस मजबूत आया राम गयाराम वाले नेताओं से नहीं होगी। कांग्रेस मजबूत होगी राहुल गांधी के बब्बर शेरों पर भरोसा करने से। बिहार में कांग्रेस को खासकर राहुल गांधी को राष्ट्रीय प्रभारी मोहन प्रकाश से बड़ी उम्मीद थी कि वह बिहार में कांग्रेस को मजबूती के साथ खड़ा कर देंगे क्योंकि लालू प्रसाद यादव से उनके पुराने राजनीतिक रिश्ते थे। मगर वह 2024 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी से सीट शेयरिंग में विफल रहे। वही मोहन प्रकाश बिहार में कांग्रेस के संगठन को भी मजबूत नहीं कर पाए। इससे कांग्रेस को नुकसान हुआ इसीलिए शायद राहुल गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली के सुशील पासी को सह प्रभारी बनाकर बिहार भेजा है। सुशील पासी ने राहुल गांधी के दिए गए निर्देशों पर अपना कार्य भी शुरू कर दिया है जिसकी झलक 5 फरवरी को राहुल गांधी के बिहार दौरे के समय दिखाई दी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)