
-देवेंद्र यादव-

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर इंडिया गठबंधन के घटक दल कांग्रेस और राजद की दिल्ली और पटना में हुई मैराथन बैठक के बाद बिहार में, कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश अब ठंडा पड़ता दिखाई देने लगा है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक के बाद एक लगातार बिहार के तीन दौरे किए थे इससे बिहार कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जोश आया और उम्मीद जगी थी कि कांग्रेस बिहार में अपनी दम पर संगठन को मजबूती के साथ खड़ा करके 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी। बिहार के कार्यकर्ताओं को यह उम्मीद इसलिए भी जगी थी क्योंकि राहुल गांधी ने बिहार के तीन दोरे कर बिहार कांग्रेस में तीन बड़े बदलाव किए थे। बिहार कांग्रेस का राष्ट्रीय प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और विभिन्न जिलों के जिला अध्यक्ष को बदला था। इससे लगा कि कांग्रेस बिहार में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी और इसीलिए बिहार कांग्रेस का कार्यकर्ता एकजुट हुआ था। मगर कांग्रेस और राजद के नेताओं की हुई दिल्ली और पटना की बैठकों के बाद खबर निकलकर यह आई कि कांग्रेस फिर एक बार बिहार में राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। इस सरगर्मी ने बिहार कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की सारी गर्मी को निकाल दिया और बिहार कांग्रेस के कार्यकर्ता ठंडे पड़ते दिखाई देने लगे। बिहार कांग्रेस के कार्यकर्ता राहुल गांधी के लगातार हो रहे दौरों से खुश और जोश में दिखाई दे रहे थे। उनका जोश खत्म हो गया और एक बार फिर से मायूस हो गए। बिहार महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सरवत जहान फातिमा के नेतृत्व में बिहार कांग्रेस मजबूत नजर आ रही है। लेकिन दिल्ली से पटना में डेरा जमा कर बैठी महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा महिला कांग्रेस के पदाधिकारियों को विश्वास में लेने की जगह उन्हें धमकाते नजर आ रही हैं। जबकि एक तरफ राहुल गांधी बड़े प्यार से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अपना बब्बर शेर बताते हैं और कहते हैं कि डरो मत। क्या बिहार में दिल्ली से गए नेता अपने कार्यकर्ताओं को ऐसे ही धमकाकर कांग्रेस को मजबूत करेंगे। मैंने पूर्व में लिखा था बिहार में यदि कांग्रेस को मजबूत करना है और चुनाव जीतना है तो दिल्ली के नेताओं को बिहार नहीं भेजे तो कांग्रेस के लिए ठीक ही होगा। बड़ा सवाल यह है कि यदि बिहार में कांग्रेस राजद की शर्तों पर चलती रही तो कांग्रेस और राहुल गांधी भूल जाएं की कांग्रेस बिहार में मजबूत होकर कभी वापसी भी कर पाएगी।
बिहार में पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के पक्ष में जो माहौल बनाया था, यदि कांग्रेस और राहुल गांधी उस पर कायम रहे तो कांग्रेस को बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ा फायदा मिलेगा। यदि पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी किनारे किया तो, कांग्रेस बिहार में एक बड़ा अवसर खो देगी। जिस तेजी के साथ राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कदम उठाया था उस कदम को पीछे नहीं हटाना चाहिए। अपने कार्यकर्ताओं पर भरोसा करना चाहिए ना की राजद की शर्तों पर झुकना चाहिए। राहुल गांधी ही तो कहते हैं डरूंगा नहीं झुकूंगा नहीं फिर बिहार में कांग्रेस राजद के सामने झुकती हुई क्यों दिखाई दे रही है। यह सवाल बिहार के कार्यकर्ताओं के मन में अब उठने लगा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)