
-गोविंद सिंह डोटासरा और टीकाराम जूली के बीच बढ़ती दूरियां
-देवेंद्र यादव-

राजस्थान कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच राजनीतिक तकरार फिलहाल नेपथ्य में है लेकिन राजनीतिक गलियारों में अब प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के बीच राजनीतिक तकरार की खबरें सामने आ गई। कांग्रेस के भीतर नेताओं के बीच यह नई प्रतिद्वंद्विता पार्टी के लिए, नेताओं की पुराने तकरार से कहीं अधिक घातक साबित हो सकती है। नेताओं की यह तकरार हरियाणा की तरह जाट राजनीति और दलितों की राजनीति में तब्दील हो गया तो स्थिति भी हरियाणा के जैसी हो जाएगी।
एक तरफ जाट नेता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा हैं तो दूसरी तरफ दलित नेता विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली हैं। यह दोनों ही नेता अपने आप को राज्य का भावी मुख्यमंत्री समझ रहे हैं। विगत विधानसभा चुनाव में हरियाणा के भीतर जाट नेता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री दलित नेता कुमारी शैलजा के बीच राजनीतिक तकरार और मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए महत्वाकांक्षा से सभी वाकिफ हैं। इस तकरार के कारण कांग्रेस ने हरियाणा में लगातार हार का सामना किया था। एक समय ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस हरियाणा की सत्ता में वापसी कर लेगी मगर जाट और दलित राजनीति के चलते हरियाणा में कांग्रेस को हार मिली। क्या हरियाणा की तरह राजस्थान में भी यह सब देखने को मिलेगा। वक्त रहते हुए इस पर कांग्रेस हाई कमान को हरियाणा एंगल से अभी से मंथन और चिंतन कर लेना चाहिए, क्योंकि राजस्थान में भी दलित और आदिवासियों की लगभग 59 विधानसभा सीट हैं। इसके अलावा करीब 72 विधानसभा सीट ऐसी है जिन पर दलित मतदाताओं का जबरदस्त प्रभाव है। भले ही उत्तर प्रदेश में मायावती कमजोर हैं लेकिन राजस्थान में मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस को बड़ा नुकसान पहुंचाती है। आदिवासियों ने राजस्थान में अपनी अलग पार्टी बना रखी है जिसका लोकसभा में एक सांसद राजकुमार रोत है।
राजस्थान के जाट लंबे समय से राज्य का मुख्यमंत्री बनने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन जाट राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने में सफल नहीं हो रहे हैं। इसकी वजह यह है कि कांग्रेस के जाट नेता कांग्रेस के चतुर और चालाक नेताओं के जाल में फंस जाते हैं और अपना राजनीतिक नुकसान कर बैठते हैं। राजस्थान विधानसभा के चुनाव होने में अभी लगभग साढे तीन साल का समय बाकी है लेकिन राजस्थान कांग्रेस के भीतर नेताओं को मुख्यमंत्री की कुर्सी नजर आने लगी है। कांग्रेस के जाट और दलित नेता में राजनीतिक तकरार होना यह जादूगर की जादूगरी है या फिर पायलट की उड़ान है। राजस्थान की राजनीति में अक्सर देखा गया है कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष जाट होता है लेकिन जैसे ही विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आने लगती है तब जाट अध्यक्ष को बदल दिया जाता है और इसका फायदा लंबे समय से जादूगर बड़ी चतुराई से उठाते आ रहे हैं। दो की लड़ाई में तीसरे का भला इसका लाभ अशोक गहलोत ने कई बार उठाया है।
इसे दलित नेता और जाट नेता को गंभीरता से समझना होगा। कांग्रेस के भीतर जाट और दलित नेताओं की आपसी राजनीतिक तकरार का बड़ा फायदा राजस्थान के किस नेता को होगा यह टीकाराम जूली और गोविंद सिंह डोटासरा को समझना होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)