
-देवेंद्र यादव-

क्या राहुल गांधी के दौड़ने से कांग्रेस मजबूत हो जाएगी या फिर राहुल गांधी कांग्रेस मुख्यालय में ठहरकर, मजबूत और कठोर फैसले लेकर पार्टी को मजबूत करेंगे।
राहुल गांधी 2014 से कुछ समय ठहराव के बाद लगातार यह सोचकर दौड़ रहे हैं कि कांग्रेस किसी तरह से एक बार मजबूती के साथ खड़ी हो जाए, मगर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में लगातार मिली हार के बाद कांग्रेस के नाकारा चुनावी रणनीतिकार राहुल गांधी से एक और दौड़ लगवाने की योजना बना रहे हैं।
राहुल गांधी को स्वयं इसे समझना होगा कि वह दौड़ क्यों लगा रहे हैं। यह भी विचारणीय है कि राहुल गांधी से कांग्रेस के नकारा नेता और रणनीतिकार दौड़ क्यों लगवा रहे हैं।
इसे इस तरह समझना होगा कि कांग्रेस 2014 में लोकसभा का चुनाव हारी थी। इसके बाद राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और पार्टी ने तीन प्रमुख राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बनाई। इसमें मध्य प्रदेश की सरकार ज्यादा दिन नहीं चली और भाजपा ने कांग्रेस में तोड फोड कर अपनी सरकार बना ली। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद इन राज्यों में कांग्रेस को 2019 के लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना था मगर तीनों ही राज्यों में कांग्रेस बुरी तरह से चुनाव हारी। जब 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस हारी तो राहुल गांधी पर आरोप लगा कि वह देश में नहीं विदेश में अधिक रहते हैं। लेकिन राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से जम्मू और कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकालने के बाद भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाली। इन यात्राओं का परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 99 सीट जीती और भारतीय जनता पार्टी को 240 सीटों पर रोक दिया। यह समय था कांग्रेस के लिए मंथन करने का और कांग्रेस को अधिक मजबूत करने का।लेकिन राहुल गांधी को रणनीतिकार दौडाते रहे, प्रेस कॉन्फ्रेंस में उलझाते रहे। नतीजा क्या हुआ कांग्रेस जम्मू कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली विधानसभा चुनाव हार गई।
राहुल गांधी को दौड़ लगाने के बजाय एक जगह ठहरकर अपने संगठन को मजबूत करने की जरूरत थी। राहुल गांधी इस पर मंथन और विचार कर रहे थे और कार्रवाई करना भी शुरू कर दिया था। मगर कांग्रेस के नकारा रणनीतिकारों ने अपने राजनीतिक अस्तित्व पर खतरा मंडराते देख एक बार फिर से राहुल गांधी के लिए भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा की तर्ज पर यात्रा का प्लान तैयार किया। राहुल गांधी को व्यस्त रखना ही कांग्रेस के नकारा नेताओं और रणनीतिकारों के लिए राजनीतिक रूप से लाभदायक है, कांग्रेस के लिए नहीं। कांग्रेस के लिए तो लाभदायक तब होगा जब राहुल गांधी पार्टी के मुख्यालय में बैठकर कांग्रेस को मजबूत बनाकर उसे अमली जामा पहनाएंगे। कांग्रेस के पास अभी भी लगभग 3 साल का समय है। यदि कांग्रेस को 2029 के लोकसभा चुनाव के लिए मजबूती से खड़ा होना है तो पहले राहुल गांधी कांग्रेस के केंद्रीय मुख्यालय में ठहरकर कांग्रेस के नेताओं और रणनीतिकारों को अपने साथ बैठा कर ठोस रणनीति बनाएं। दौड़ने से केवल समय बर्बाद हो रहा है फायदा नहीं। और यही तो कांग्रेस का स्लीपर सेल जाता है कि राहुल गांधी दौड़ते रहे, और वे मजे करते रहें। राहुल गांधी कांग्रेस मुख्यालय में बैठकर देश भर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिलने का प्रयोग 6 महीने करके देख लें तो कांग्रेस को मजबूत करने के लिए यात्रा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यही तो कांग्रेस के नेता और रणनीतिकार नहीं चाहते हैं कि राहुल गांधी कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं से मिलें क्योंकि राहुल गांधी से कार्यकर्ताओं का नियमित मिलने के कारण उन नकारा नेताओं की पोल खुल जाएगी। कांग्रेस तब तक मजबूत थी जब तक गांधी परिवार अपने दिल्ली निवास पर जनता दरबार लगाया करता था। जब से गांधी परिवार ने जनता दरबार लगाना बंद किया है तब से कांग्रेस कमजोर होती चली गई क्योंकि गांधी परिवार को पता ही नहीं चला और चल पा रहा है कि कांग्रेस का आम कार्यकर्ता पार्टी हाई कमान से चाहता क्या है। जनता दरबार को बंद करके कांग्रेस के नेताओं और रणनीतिकारों ने गांधी परिवार को एक तरह से कांग्रेस के आम कार्यकर्ता और देश की जनता से दूर कर दिया। वक्त है अभी भी गांधी परिवार इसको समझे और वापस जनता दरबार लगना शुरू करे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)