
-देवेंद्र यादव-

राहुल गांधी गुजरात में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए नेताओं की खोज नहीं कर रहे हैं। सही मायनों में तो वह खोज उन जन्मजात कांग्रेसी परिवारों की कर रहे हैं, जिनके दम पर कांग्रेस गुजरात सहित देश में जिंदा है। राहुल समझ रहे हैं कि कांग्रेस का यही परिवार पार्टी को आने वाले दिनों में गुजरात की सत्ता में वापसी कराएंगे।
गुजरात ने ही 2014 में कांग्रेस से देश की सत्ता छीनी थी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे। शायद इसीलिए राहुल गांधी 2029 में केंद्र की सत्ता में कांग्रेस की वापसी करने के लिए रास्ता गुजरात से खोजते नजर आ रहे हैं। राहुल गांधी संसद से लेकर सड़क पर भारतीय जनता पार्टी को चुनौती दे रहे हैं कि कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी को गुजरात में हराएगी।
राहुल गांधी अपने गुजरात मिशन को लेकर गंभीर दिखाई दे रहे हैं। इस गंभीरता का अनुमान इससे भी लगाया जा सकता है कि कांग्रेस ने 61 साल बाद कांग्रेस का अधिवेशन गुजरात के अहमदाबाद में अप्रैल माह के प्रारंभ में रखा है। अधिवेशन से पहले राहुल गांधी स्वयं 7 मार्च को 2 दिवसीय दौरे पर गुजरात पहुंचे जहां उनका गर्म जोशी के साथ जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया।

राहुल गांधी ने गुजरात पहुंचकर सबसे पहले गुजरात के पुराने और वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत की और उसके बाद ब्लॉक और जिला पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से अलग-अलग मुलाकात की।
राहुल गांधी के दौरे से गुजरात के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में बड़ा जोश देखा गया। कार्यकर्ताओं का जोश ही राहुल गांधी को भारतीय जनता पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में हराने की चुनौती दिला रहा है। क्या राहुल गांधी ने गुजरात में सत्ताधारी डबल इंजन भाजपा सरकार की कोई बड़ी नब्ज पकड़ ली है, या राहुल गांधी समझ गए हैं कि गुजरात में भारतीय जनता पार्टी को हराना मुश्किल नहीं है। उसके लिए शर्त यह है कि गुजरात में कांग्रेस को नेताओं की नहीं बल्कि अपने पारंपरिक मतदाताओं और जन्मजात कांग्रेसी परिवारों की खोज करनी होगी और उन्हें गारंटी देनी होगी की कांग्रेस मुश्किल समय में भी उनके साथ खड़ी है।
राहुल गांधी को यदि गुजरात जीतना है तो गुजरात कांग्रेस के अंदर ग्राम, ब्लाक, जिला, प्रदेश स्तर पर संगठन में जन्मजात कांग्रेसी परिवारों को जगह देनी होगी क्योंकि गुजरात में संगठन के पदों पर कुंडली मारकर वह नेता बैठे हुए हैं जिनके कारण गुजरात में कांग्रेस की आज यह हालत हो गई है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)