
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस 2014 के बाद पहली बार रणनीतिक तरीके से भाजपा के सामने जीतती हुई नजर आ रही है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव 30 अप्रैल बुधवार के दिन प्रेस से मुखातिब हुए और उन्होंने केंद्र सरकार के देश में जाति जनगणना के फैसले की घोषणा की। इस घोषणा के बाद राहुल गांधी का संसद से लेकर सड़क तक जाति जनगणना को लेकर संघर्ष सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में गुूजने लगा। राहुल गांधी भी अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली के दो दिवसीय दोरे को समाप्त कर 30 अप्रैल को दिल्ली पहुंचे और साय: 7:30 बजे प्रेस के सामने मुखातिब हुए। उन्होंने केंद्र सरकार के द्वारा जाति जनगणना कराए जाने की घोषणा पर खुशी का इजहार किया और सरकार को इसके लिए कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की समर्थन देने की घोषणा की। उन्होंने मांग की कि सरकार को तेलंगाना मॉडल की तरह देश भर में जाति जनगणना करानी चाहिए।
सवाल यह नहीं है कि राहुल गांधी ने जाति जनगणना का मुद्दा उठाया और भारतीय जनता पार्टी ने देश में जाति जनगणना कराए जाने की घोषणा की। सवाल यह है कि, कांग्रेस के अंदर कौन है वह रणनीतिकार, जिसकी रणनीति ने भाजपा से एक झटके में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का मुद्दा छीन लिया। भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के मुद्दे जाति जनगणना पर आकर खड़ी हो गई, और 2014 के बाद कांग्रेस को भाजपा के सामने बड़ी रणनीतिक कामयाबी मिली। कांग्रेस को राजनीति के रूप से बड़ी कामयाबी कब मिलेगी या मिलेगी भी या नहीं इसका तो अभी इंतजार करना होगा लेकिन सवाल फिर वही है कांग्रेस को मिली रणनीतिक कामयाबी का असल रणनीतिकार कौन है।
इसे समझने के लिए याद करना होगा 2023 का राजस्थान का विधानसभा चुनाव। राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले 2022 में गांधी परिवार के भरोसेमंद नेता पूर्व आईएएस अधिकारी के राजू के नेतृत्व में अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़ा वर्ग में नई लीडरशिप डेवलप करने के लिए लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन चला। लोकसभा चुनाव 2024 में लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन के साथ-साथ के राजू की अगुवाई में देश भर में संविधान रक्षक अभियान चलाया गया। के राजू के नेतृत्व में चले कांग्रेस के यह दोनों अभियान जनता के बीच सफल होते हुए नजर आए तभी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने देश भर में संविधान बचाओ और आरक्षण बचाओ का अभियान छेड़ दिया। जिसका फायदा लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को मिला। लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन से शुरू हुआ कांग्रेस का प्रोग्राम संविधान रक्षक संविधान बचाओ आरक्षण बचाओ से चलता हुआ देश में जाति जनगणना कराने के मुद्दे पर आकर टिक गया। इस मुद्दे को राहुल गांधी सड़क से लेकर संसद तक निरंतर उठा रहे हैं। राहुल गांधी को बड़ी कामयाबी भी मिली जब केंद्र सरकार ने देश में जाति जनगणना कराने की घोषणा की। कांग्रेस के भीतर कौन है वह रणनीतिकार जिसकी रणनीति के चलते भाजपा को राहुल गांधी और कांग्रेस के सामने झुकना पड़ा, इसे जानने के लिए तेलंगाना का जिक्र भी करना है जहां कांग्रेस की सरकार है और कांग्रेस सरकार ने तेलंगाना में जातिगत जनगणना कराई है। राहुल गांधी केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार को तेलंगाना मॉडल पर जाति जनगणना करानी चाहिए। गांधी परिवार के भरोसेमंद नेता झारखंड में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी के राजू तेलंगाना से आते हैं और 30 अप्रैल को साय: 7:00 बजे के लगभग लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रेस वार्ता की तब अपने बगल में के राजू को बिठा रखा था। मतलब साफ है कांग्रेस के भीतर गांधी परिवार का भरोसेमंद रणनीतिकार के राजू है, जिनकी रणनीति ने भाजपा को बैकफुट पर ला दिया। जिसका राजनीतिक फायदा कांग्रेस को मिलेगा या नहीं इसका अभी इंतजार करना होगा।लेकिन कांग्रेस को बड़ा रणनीतिकार मिल गया जिसकी कांग्रेस को सख्त जरूरत थी। लंबे समय से लग रहा था कि कांग्रेस के पास अब रणनीतिकार नहीं बचे हैं। के राजू पर राजनीतिक पंडितों और विश्लेषकों की नजर इसलिए नहीं पड़ी क्योंकि वह बहुत ही साधारण जीवन जीते हैं और अपने काम से मतलब रखते हैं। वह मीडिया के सामने भी कम ही नजर आते हैं। के राजू को राहुल गांधी या गांधी परिवार के किसी भी सदस्य के साथ अन्य नेताओं की तरह भी नहीं देखा जाता है, इसीलिए राजनीतिक विशेषज्ञों की उन पर नजर अभी तक नहीं पड़ी जबकि वह कांग्रेस के लिए लंबे समय से काम कर रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)