
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस द्वारा संगठन को मजबूत करने के लिए शुरू किए गए संगठन सृजनअभियान की कमान लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपने हाथों में ले ली है। इससे बरसों से सत्ता और संगठन पर कुंडली मारकर बैठे नेताओं में खलबली मच गई है।
मैंने 15 जून के अपने ब्लॉग में लिखा था कि कांग्रेस के महत्वपूर्ण अभियान संगठन सृजन अभियान पर राहुल गांधी को सीधी नजर रखनी होगी। इस अभियान की राहुल गांधी को स्वयं मॉनिटरिंग करनी होगी तब यह अभियान सफल होगा। अब खबर यह आ रही है कि राहुल गांधी ने संगठन सृजन अभियान की बागडोर संभाल ली है और जिलों के कोऑर्डिनेटरों पर नजर रखने के लिए भी अलग से मॉनिटरिंग सेल बना दी। यह सेल अभियान पर नजर रखेगी। इसके मायने यह होंगे कि इस अभियान पर सीधे राहुल गांधी की नजर है। कांग्रेस हाई कमान ने जिन नेताओं को कांग्रेस के महत्वपूर्ण संगठन सृजन का काम दिया है वह कोऑर्डिनेटर भी दूध के धुले नहीं हैं। अधिकांश नेता भी लंबे समय से सत्ता और संगठन पर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं। पदों की उत्तर प्रदेश की तरह बंदर बांट ना हो जाए, इसके लिए स्वयं राहुल गांधी को इस पर सीधे नजर रखनी होगी और इस अभियान की मॉनिटरिंग करनी होगी, क्योंकि कांग्रेस हाई कमान में उसे कहावत को चरितार्थ किया था, दूध की रखवाली करने की जिम्मेदारी बिल्ली के हाथों में दे दी। कांग्रेस हाई कमान महत्वपूर्ण अभियानों की कमान जिला स्तर पर कोऑर्डिनेटरों के हाथों में देते आए हैं। अभी तक यह केवल खाना पूर्ति होती थी। इसकी मॉनिटरिंग नहीं होती थी। इसलिए कांग्रेस के अधिकांश प्रोग्राम फेल होते थे और कार्यकर्ताओं के मन में कुंठा और विवाद खड़े हो जाते थे। जिसका उदाहरण उत्तर प्रदेश है जहां कांग्रेस संगठन सृजन के बाद जिला अध्यक्षों की घोषणा हुई जिस पर विवाद खड़ा हो गया और आरोप लगे की जिला अध्यक्षों की नियुक्तियों में बंदर बांट हो गई है। लेकिन अब राहुल गांधी की समझ आ गई है कि सच्चाई क्या है और कांग्रेस कमजोर क्यों होती चली गई। राहुल गांधी को, कांग्रेस के सदस्यता अभियान पर भी गंभीरता से ध्यान देना होगा। जिलों और प्रदेशों में कुंडली मारकर संगठन के पदों पर बैठे नेता, अपने आप को इसलिए मजबूत समझते हैं क्योंकि जब कांग्रेस का विशेष अभियान सदस्यता अभियान चलता है तब यह नेता अपने चाहतों को कांग्रेस का सदस्य बना लेते हैं और इसके माध्यम से संगठन पर अपना कब्जा जमा लेते हैं।
राहुल गांधी ने कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए संगठन सृजन का अभियान चला रखा है, और जिलों में अभियान को सफल बनाने के लिए कोआर्डिनेटर नियुक्त कर रखे हैं, लेकिन इन कोऑर्डिनेटरों को यह भी निर्देश दिया जाए की वह सच्चे और ईमानदार सक्रिय कार्यकर्ताओं की खोज करते हुए गांव-गांव में जाकर कांग्रेस के सदस्यता अभियान को भी शुरू करें। इस अभियान को ईमानदारी से चलाने के बाद राहुल गांधी को जिसकी वह खोज कर रहे हैं वह लोग मिल जाएंगे।
राहुल गांधी को ईमानदार, वफादार, निष्ठावान और सक्रिय नेता और कार्यकर्ता तब मिलेंगे जब राहुल गांधी गांव गांव में अपने कोऑर्डिनेटरों को भेज कर कांग्रेस का सदस्यता अभियान शुरू करेंगे। कांग्रेस के सदस्यता अभियान पर लंबे समय से गंभीरता से काम नहीं हुआ है। केवल खाना पूर्ति हुई है। स्वयंभू नेता जिला प्रदेश और राष्ट्रीय सदस्य नियुक्त हो जाते हैं, और जिला प्रदेश और राष्ट्रीय सदस्यों की बंदर बांट हो जाती है। बाद में यही नेता जिला अध्यक्ष प्रदेश कार्यकारिणी में पदाधिकारी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पदाधिकारी बन जाते हैं। कांग्रेस का ईमानदार वफादार निष्ठावान सक्रिय कार्यकर्ता निष्क्रिय और कुंठित हो जाता है। राहुल गांधी को यदि कांग्रेस को मजबूत करना है तो ब्लॉक जिला अध्यक्षों की खोज करने से पहले सदस्यता अभियान चलाना चाहिए। उन्हीं में से ब्लॉक और जिला अध्यक्षों की खोज कर नियुक्ति करना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)