
-देवेंद्र यादव-

बिहार कांग्रेस में जो काम चार दशक में नहीं हो पाया था वह काम राहुल गांधी के बब्बर शेर कृष्णा अल्लावरु ने 40 दिन में कर दिया। किसी को अंदाजा भी नहीं था की बिहार में कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष को बदलकर नया अध्यक्ष बनाएगी और अध्यक्ष के बदलते ही मात्र 8 दिन के अंदर, बिहार के अपने तमाम जिलों के जिला अध्यक्षों को बदलकर नए जिला अध्यक्षों की घोषणा कर देगी।
कांग्रेस हाई कमान ने पहले बिहार कांग्रेस का अपना राष्ट्रीय प्रभारी बदला। मोहन प्रकाश की जगह कृष्णा अल्लावरु को राष्ट्रीय प्रभारी बनाया और उसके बाद अपने बिहार के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को बदलकर दलित नेता विधायक राजेश राम को प्रदेश का अध्यक्ष बनाया।यह सारा काम लगभग 40 दिन के भीतर हुआ।
अब बिहार में राहुल गांधी की नई कांग्रेस नजर आने लगी है। जिस कांग्रेस का बिहार का आम कार्यकर्ता और कांग्रेस विचारधारा के लोग सपने देख रहे थे उनके वह सपने अब साकार होते हुए नजर आ रहे हैं। बिहार में कांग्रेस का आम कार्यकर्ता कांग्रेस को मजबूत देखने का सपना देख रहा था। मगर बिहार को लेकर पार्टी हाई कमान की ढुलमुल नीति के कारण कार्यकर्ताओं का सपना साकार रूप नहीं ले पा रहा था। राहुल गांधी ने बिहार के कार्यकर्ताओं और कांग्रेस विचारधारा के लोगों की भावनाओं को समझा और जानने के लिए राहुल गांधी ने एक के बाद एक लगातार बिहार के दो बार दौरे किए। इन दौरों के तुरंत बाद राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस का अपना राष्ट्रीय प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष को बदला और अब बिहार कांग्रेस ने अपने सारे जिला अध्यक्षों को बदल डाला। यह प्रक्रिया सामान्य नहीं है। एक जिला अध्यक्ष को बदलने में कई दिन लग जाते हैं। मगर बिहार के राहुल गांधी के बब्बर शेर राष्ट्रीय प्रभारी कृष्णा और प्रदेश अध्यक्ष राम ने मिलकर चंद दिनों में बिहार के तमाम जिला अध्यक्ष बदल डाले। 7 अप्रैल को राहुल गांधी तीसरी बार दौरे पर जा रहे हैं। बिहार को लेकर राहुल गांधी गंभीर दिखाई दे रहे हैं। राहुल गांधी की गंभीरता बता रही है कि कांग्रेस बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव में क्या करने जा रही है। बिहार में कांग्रेस के पास बड़ा अवसर है अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को वापस पाने का।लेकिन शर्त यह है कि कांग्रेस हाई कमान अब अपने बिहार के नवनियुक्त बब्बर शेरों पर पूर्ण भरोसा करें। यह ना हो कि चुनाव के वक्त दिल्ली से बिहार में नेताओं की फौज को भेजें, क्योंकि अक्सर देखा गया है कि कांग्रेस हाई कमान राज्यों में चुनाव के समय दिल्ली से नेताओं की फौज इकट्ठा कर देती है। इस कारण स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच भ्रम पैदा हो जाता है और कांग्रेस अपनी जीती हुई बाजी को हार जाती है! बिहार में कांग्रेस हाई कमान को अब बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के चयन और चुनावी रणनीति बनाने के लिए स्थानीय अपने कार्यकर्ताओं नव नियुक्त पदाधिकारी और कांग्रेस विचारधारा के लोगों और नेताओं पर पूरा भरोसा करना होगा। राहुल गांधी ने जब बिहार की कमान सीधे अपने हाथों में ले ली है तो अब उन्हें दिल्ली से नाकारा नेताओं की फौज भेजने की जरूरत नहीं है। जरूरत है बिहार के कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पूर्ण रूप से भरोसा जताने की, जो राहुल गांधी कर भी रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)