
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस ने इस साल दो ऐसी गलतियां की जिसके कारण 2024 के आम चुनाव में 2004 के प्रदर्शन को नहीं दोहरा सकी। इसके अलावा कांग्रेस हरियाणा और महाराष्ट्र में भी अपनी सरकार नहीं बना सकी।
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस की हार पर हताश नहीं हुए बल्कि दुगने जोश के साथ जनता के बीच भारतीय जनता पार्टी सरकार की नाकामियों को उजागर करते हुए नजर आए। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा ने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को बैक फुट पर लाकर खड़ा कर दिया था। कांग्रेस फ्रंट फुट पर दिखाई देने लगी। देश में यह कहने वालों की तादाद कम होने लगी की भारतीय जनता पार्टी का विकल्प क्या है। भारतीय जनता पार्टी के विकल्प के रूप में जनता कांग्रेस को देखने लगी थी। तभी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सामने आए और 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए गठबंधन का विकल्प तलाशने में जुटे। कांग्रेस ने स्वयं की राजनीतिक ताकत को नहीं परख कर इस जाल में फंस गई। नीतीश कुमार ने जाल बुनकर बिहार में कांग्रेस से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी से मिलकर अपनी सरकार बनाकर बैठ गए।
कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी ने पहली भूल इंडिया गठबंधन में शामिल होने की, की थी। देश में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ राहुल गांधी ने जो माहौल बनाया था इसका फायदा कांग्रेस को कम मिला। क्षेत्रीय दलों को जो इंडिया गठबंधन में शामिल हुए थे उनको अधिक मिला। सर्वाधिक फायदा समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस को हुआ।
यदि कांग्रेस 2004 की तर्ज पर चुनाव लड़ती तो उसको इसका बड़ा फायदा मिलता और हो सकता था कांग्रेस 2004 को दोहरा पाती।
दूसरी बड़ी भूल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर राजनीतिक हमले करना रहा जिसने कांग्रेस को 2024 के चुनाव में जीतने से रोका। यही नहीं उसे महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भी हार झेलनी पडी।
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी लगातार जनता के बीच नोटबंदी और जीएसटी के मुद्दे पर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को लेकर उन्हें घेर रहे थे। राहुल गांधी की बात जनता को समझ भी आ रही थी। मगर कांग्रेस के स्वयंभू नेता और चुनावी रणनीतिकार राहुल गांधी को यह नहीं समझा पाए की नोटबंदी और जीएसटी से बड़ा नुकसान जिस वर्ग को हो रहा है उस वर्ग के अधिकांश लोग आरएसएस के प्रभाव में हैं। लेकिन वह भारतीय जनता पार्टी सरकार की नीतियों से नाराज हैं। इस वर्ग के लोग खुलकर तो सरकार के खिलाफ नजर नहीं आ रहे थे मगर वह राहुल गांधी और कांग्रेस की नोटबंदी और जीएसटी की नीति से प्रभावित थे और उनकी नजर राहुल गांधी और कांग्रेस पर थी। मगर इसका फायदा कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में नहीं ले पाई इसकी वजह कांग्रेस का इंडिया गठबंधन में शामिल होना और राहुल गांधी का लगातार आरएसएस पर राजनीतिक हमले करना शायद रहा है। नोटबंदी और जीएसटी से सर्वाधिक नुकसान जिस वर्ग को अधिक हो रहा था वह वर्ग कांग्रेस की तरफ देख रहा था कि कांग्रेस इस मुद्दे को जोर- शोर से उठाएं। राहुल गांधी ने मुद्दा भी उठाया मगर लगातार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भी राजनीतिक हमले करते रहे इस कारण नोटबंदी और जीएसटी से प्रभावित व्यापारी वर्ग जो कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी की नीतियों से नाराज था और कांग्रेस की तरफ देख रहा था वह खुलकर कांग्रेस के पक्ष में नहीं आया। बल्कि कांग्रेस के द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को गरियाने के कारण एकजुट हो गया। जिसका नुकसान कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव और हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ा। 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला इसकी वजह वही वर्ग है जिसकी नजर कांग्रेस पर थी मगर कांग्रेस दो भूल करने के कारण फायदा नहीं उठा सकी। इसकी झलक इन दिनों राजनीतिक गलियारों और मीडिया के भीतर मोहन भागवत के बयानों की चर्चा होने में दिखाई दे रही है। कांग्रेस के रणनीतिकारों को बल्कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी को गंभीर मंथन करना होगा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बार-बार गरियाने से कांग्रेस को फायदा हुआ या नुकसान।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)