
वर्तमान में भारत के साथ रिश्ते पटरी पर लाना और पाकिस्तान को आर्थिक संकट से बाहर निकालना पाकिस्तान के किसी भी प्रधानमंत्री के सामने सबसे बडी चुनौती होगी। भारत के साथ रिश्तों के मामले में काकर को इस बात पर निर्भर रहना होगा कि सेना उनका कितना साथ देती है क्योंकि भारत के साथ रिश्तों के मामले में पाकिस्तान का कोई भी प्रधानमंत्री सेना के साथ के बिना एक कदम भी नहीं चल सकता। काकर को भी अपने छोटे से कार्यकाल में इस परीक्षा से गुजरना है।
-द ओपिनियन-
पाकिस्तान में नए चुनावों की घंटी बज गई हैं। हालांकि अभी तारीख की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुन लिया गया है। बलूचिस्तान अवामी पार्टी के नेता अनवारुल हक काकर पाकिस्तान में नई सरकार के पदभार संभालने तक नए अंतरिम प्रधानमंत्री होंगे। समझा जाता है कि काकर सेना के करीब हैं और अशांत बलूचिस्तान प्रांत से आते हैं। काकर को ऐसे समय अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया है जब पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और महंगाई के मारे लोगों की हालत खराब है। काकर के सामने देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष व शांतिपूर्ण चुनाव कराने की चुनौती होगी। वैसे तो पाकिस्तान मे चुनाव उतने ही स्वतंत्र होते हैं जितने सेना चाहती है। लेकिन एक अशांत देश में शांतिपूर्ण चुनाव कराना बहुत बड़ी चुनौती होगी। साथ ही यह सवाल भी उठता है कि क्या काकर तंग अािर्थक स्थिति से पाकिस्तान को बाहर निकालने के लिए कोई सार्थक कदम उठा सकेंगे। वर्तमान में भारत के साथ रिश्ते पटरी पर लाना और पाकिस्तान को आर्थिक संकट से बाहर निकालना पाकिस्तान के किसी भी प्रधानमंत्री के सामने सबसे बडी चुनौती होगी। भारत के साथ रिश्तों के मामले में काकर को इस बात पर निर्भर रहना होगा कि सेना उनका कितना साथ देती है क्योंकि भारत के साथ रिश्तों के मामले में पाकिस्तान का कोई भी प्रधानमंत्री सेना के साथ के बिना एक कदम भी नहीं चल सकता। काकर को भी अपने छोटे से कार्यकाल में इस परीक्षा से गुजरना है।
काकर की नियुक्ति
काकर की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नियक्ति प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और नेशनल असेंबली में निवर्तमान विपक्षी नेता राजा रियाज के बीच इस्लामाबाद में हुई एक बैठक में उनके नाम पर बनी सहमति के बाद हुई। दोनों नेताओं ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को काकर के नाम की सिफारिश की, जिन्होंने उनके नाम की मंजूरी दे दी। पाकिस्तान की राजनीति में काकर को एक गैर-विवादास्पद व्यक्तित्व माना जाता है और उनकी यही राजनीतिक पूंजी उनके नाम पर सहमति में सहायक सिद्ध हुई। काकर सीनेट के सदस्य के रूप में कई कमेेटियों में काम कर चुके हैं। वह 2018 में बलूचिस्तान से एक स्वतंत्र सीनेटर के रूप में चुने गए। सीनेटर के रूप में उनका कार्यकाल मार्च 2024 में समाप्त होगा। उम्मीद है तब तक पाकिस्तान में एक निर्वाचित सरकार सत्ता में संभाल लेगी। काकर 2018 में गठित बलूचिस्तान अवामी पार्टी के लिए संसदीय नेता की भूमिका भी निभाई। वह पांच साल तक इस पद को संभाला। पांच महीने पहले, पार्टी ने नया नेता चुन लिया।
पाकिस्तान के दैनिक अखबार डॉन के अनुसार काकर पाकिस्तान के अंतरिम प्रधानमंत्री की भूमिका संभालने वाले बलूचिस्तान के दूसरे व्यक्ति होंगे। उन्होंने अपना राजनीतिक करियर पीएमएल-एन के साथ शुरू किया था, लेकिन 1999 में दिवंगत जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा सैन्य तख्तापलट के चलते नवाज सरकार के अपदस्थ होने के बाद उन्होंने इसे छोड़ दिया।