
-देवेंद्र यादव-

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इन दिनों कहां है। वह नजर क्यों नहीं आ रहे हैं। यह सवाल बार-बार उठ रहा है। क्या अमित शाह 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव कैसे जीता जाए इसकी योजना बनाने में जुटे हुए हैं। विपक्षी दल के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर यह आरोप लगाते हैं कि वह अक्सर चुनावी मोड में रहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजस्थान के बीकानेर यात्रा में उनके द्वारा कह गए शब्दों को लेकर भी विपक्ष के नेताओं ने सवाल खड़े किए और आरोप लगाए की मोदी चुनावी फायदा उठाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर का उपयोग करने में जुट गए हैं।
अमित शाह कहां है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑपरेशन सिंदूर को लेकर इतने सक्रिय क्यों नजर आ रहे हैं। सवाल यह नहीं है। सवाल यह है कि क्या कांग्रेस सहित विपक्ष फिर एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के जाल में फंसता हुआ नजर आ रहा है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी, बिहार चुनाव को छोड़कर इन दिनों पहलगाम आतंकी हमले को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार पर हमलावर हैं। राहुल गांधी आतंकी हमले में पीड़ित परिवारों से मिलने उनके घर जा रहे हैं। जबकि सत्ता पक्ष भाजपा के नेता पीड़ित परिवारों से मिलने नहीं जा रहे हैं। यह आरोप भी मोदी पर विपक्ष के नेता लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं। विपक्ष के नेता भाजपा और मोदी पर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सवाल उठा रहे हैं कि मोदी इसका बिहार विधानसभा चुनाव में फायदा उठाने के लिए जुट गए हैं। कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी जो बिहार चुनाव को लेकर पहले सक्रिय और गंभीर नजर आ रहे थे। अब वह बिहार को छोड़कर पहलगाम आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर राजनीतिक हमले करने में सक्रिय नजर आ रहे हैं।

पक्ष और विपक्ष की तरफ से इस पर आरोप और प्रत्यारोप का दौर जारी है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या विपक्ष भारतीय जनता पार्टी के जाल में फस रहा है, और क्या भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार बिहार में अपने दम पर भाजपा की सरकार बनाने की रणनीति बना ली है। शायद इसीलिए अमित शाह नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि अमित शाह बिहार को कैसे जीता जाए। इसकी रणनीति बनाने में व्यस्त हैं और विपक्ष भाजपा सरकार से पहलगाम हमले को लेकर सवाल पूछने में व्यस्त हैं। बिहार को लेकर राहुल गांधी की सक्रियता ने बिहार में कांग्रेस को खड़ा कर दिया था और लगने लगा था कि बिहार में कांग्रेस 2025 के विधानसभा चुनाव में बड़ा उलट फेर कर सकती है। राहुल गांधी ने इसी वर्ष 2025 में एक के बाद एक लगातार चार दौरे किए और बिहार कांग्रेस के भीतर तीन बड़े बदलाव किए। राहुल गांधी की सक्रियता और बिहार कांग्रेस में किए गए तीन बड़े बदलाव के कारण कांग्रेस बिहार में खड़ी होते दिखाई देने लगी थी। मगर पहलगाम हमले के बाद राहुल गांधी की बिहार चुनाव को लेकर सक्रियता धीमी और ठंडी पड़ती नजर आ रही है। राहुल गांधी बिहार का पांचवीं बार दौरा करने वाले थे, मगर अब सुनने में आ रहा है कि राहुल गांधी ने अपने दौरे को निरस्त कर दिया है। यहां से सवाल खड़ा होता है कि क्या कांग्रेस और राहुल गांधी फिर एक बार भारतीय जनता पार्टी के जाल में फंसता हुआ नजर आ रहा है।
बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव हैं। समय कम है और राहुल गांधी ने बिहार को लेकर जो सक्रियता अभी तक दिखाई थी वैसी सक्रियता नियमित दिखानी होगी, तभी कांग्रेस बिहार में मजबूत होगी। राहुल गांधी यह समझने की भूल कतई ना करें कि, उनके अलावा कांग्रेस का कोई और नेता बिहार को संभाल लेगा। राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस के अन्य किसी नेता में इतना बड़ा माद्दा नहीं है कि वह राहुल गांधी के बगैर बिहार में कांग्रेस को मजबूत कर विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा को टक्कर दे पाए।
यह समय है जब बिहार में कांग्रेस को जीतने वाले प्रत्याशियों का गंभीरता से चयन करना है। कांग्रेस ने गत दिनों उत्तराखंड से मेरा वोट मेरा अधिकार मिशन चलाने का आगाज किया था। उस मिशन को यदि कांग्रेस बिहार में चलाए तो यह कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के लिए लाभकारी होगा। राहुल गांधी और कांग्रेस को ऑपरेशन सिंदूर में देश को कितनी क्षति पहुंची यह गिनती करने की जगह बिहार में यह गिनती करनी चाहिए कि बिहार में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के कितने पारंपरिक मतदाता वोटर लिस्ट से गायब हुए। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के नेता बिहार में मतदाता सूचियों पर गंभीरता से ध्यान देंगे तभी वह, जीत की उम्मीद कर पाएंगे। वरना फिर एक बार कांग्रेस और विपक्ष के नेता भाजपा पर महाराष्ट्र की तरह आरोप लगाते हुए नजर आएंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)