
-देवेंद्र यादव-

शेर बूढ़ा हो गया लेकिन दहाड़ अभी भी जवान है। फोन टैपिंग और उसके बाद भारतीय जनता पार्टी द्वारा कारण बताओ नोटिस से सुर्खियों में आए राज्य के कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा के संदर्भ में यह कहावत सटीक बैठती है। डॉ किरोडी लाल मीणा के राजनीतिक जीवन पर नजर डालें तो उनके सिद्धांत ‘डरेंगे नहीं झुकेंगे नहीं’ वाला रहा है। इसी सिद्धांत ने उन्हें राजस्थान की राजनीति में जनता ने मजबूत जन आधार वाला नेता बनाया है। यूं तो भारतीय जनता पार्टी के पास मीणा आदिवासी जाति के अनेक नेता थे और हैं मगर कांग्रेस के पारंपरिक वोट को भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में खड़ा डॉक्टर किरोडी लाल मीणा ने किया। 2003 में भारतीय जनता पार्टी की पहली बार प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनी थी। उसमें बड़ा रोल डॉक्टर किरोड़ी मीणा का रहा था। किरोडी लाल मीणा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सबसे करीबी नेता बने थे। लेकिन बाद में वसुंधरा और किरोड़ी के बीच में अनबन हुई और नतीजा यह हुआ कि किरोड़ी मीणा ने भाजपा से अलग होकर राज्य की 134 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और चार सीटों पर विजय प्राप्त की। वहीं लगभग 15 सीटों पर किरोड़ी मीणा की पार्टी दूसरे नंबर पर रही। किरोड़ी मीणा निर्दलीय सांसद भी बने। 10 वर्ष भारतीय जनता पार्टी से बाहर रहकर किरोड़ी मीणा की एक बार फिर से भाजपा में वापसी हुई और अब राजस्थान की भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
2023 में भाजपा ने सरकार में वापसी की तब से लेकर अब तक किरोड़ी मीणा सुर्खियों में बने हुए हैं। सुर्खियां किरोड़ी मीणा के फोन टैपिंग और उनको भारतीय जनता पार्टी द्वारा कारण बताओं नोटिस से ऊपर उठकर राजनीतिक तनाव में तब्दील हो गई। राजस्थान की लगभग 45 विधानसभा सीटों पर डॉक्टर किरोड़ी मीणा का अपना राजनीतिक प्रभाव है। ऐसे में किरोड़ी मीणा का नाराज होना भारतीय जनता पार्टी को भविष्य में कितना महंगा पड़ेगा यह कहना अभी जल्दबाजी होगा।
यदि भाजपा के राजनीतिक नजरिए से देखें तो भाजपा ने भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री तो बना दिया है मगर राजस्थान भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के दिमाग से पर्ची वाला मुख्यमंत्री ना तो निकल पा रहा है और ना ही पच पा रहा है।
राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से लगभग 45 सीटों पर राजनीतिक प्रभाव और जन आधार होने के बावजूद डॉक्टर किरोड़ी मीणा अपने को पार्टी के द्वारा उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और क्या यही वजह है कि वह नाराज हैं और सुर्खियों में हैं।
राजस्थान में पहली बार किरोड़ी मीणा ने तीसरा मोर्चा खोला था जिसका प्रभाव भी नजर आया था क्या भविष्य में किरोड़ी मीणा राजस्थान में एक बार फिर से तीसरा मोर्चा खोलने की कवायद में लग गए हैं।
क्या भारतीय जनता पार्टी द्वारा किरोड़ी लाल मीणा को कारण बताओं नोटिस देना भारी पड़ेगा क्योंकि मीणा की फितरत रही है ‘ना डरेंगे ना झुकेंगे’। उनका यही आत्म बल उन्हें जनता के बीच मजबूती देता है !
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)