
-देवेंद्र यादव-

दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ अब सबकी नजर सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पर है। देखना यह है कि कांग्रेस दिल्ली में वोट कटवा पार्टी बनेगी या फिर सत्ता में वापसी करेगी। इन दोनों पहलुओं पर केंद्र की सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी और दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी सहित चुनावी विश्लेषकों की भी नजर है।
दिल्ली के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिस प्रकार से अपने मजबूत उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं उससे भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेता नफा और नुकसान का आकलन करने में जुट गए हैं।
दिल्ली विधानसभा का चुनाव त्रिकोणीय बन गया है, और समय-समय पर तीनों ही पार्टियों आम आदमी पार्टी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली पर राज किया है। भाजपा और कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए लड़ रही है तो वहीं आम आदमी पार्टी अपनी सरकार को बचाने की जुगाड में है। एक नई नवेली आम आदमी पार्टी ने देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी और देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को दिल्ली की सत्ता से बाहर कर पहली बार अपनी सरकार बनाई थी। धीरे-धीरे आम आदमी पार्टी ने मानो दिल्ली की सत्ता पर कब्जा कर दिल्ली की जनता के दिलों में लंबे समय के लिए अपना राज कर लिया। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही राष्ट्रीय पार्टिया आम आदमी पार्टी को दिल्ली की सत्ता से बेदखल करने के प्रयास करती रही मगर दिल्ली में आम आदमी पार्टी अधिक मजबूत होती रही और उसने दिल्ली ही नहीं बल्कि पंजाब में भी चुनाव जीतकर पंजाब की सत्ता पर कब्जा कर लिया और पंजाब से कांग्रेस और भाजपा को बेदखल कर राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनकर भाजपा और कांग्रेस की कतार में खड़ी हो गई। अब भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए दिल्ली विधानसभा का चुनाव एक चुनौती भरा है। चुनौती दोनों पार्टियों को आम आदमी पार्टी से हैै।
विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी भाजपा को लेकर उतना परेशान नहीं है जितना कांग्रेस को लेकर नजर आ रही है। परेशानी का सबसे बड़ा कारण यह है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता पर इसलिए है क्योंकि उसने कांग्रेस के पारंपरिक मतदाताओं को आकर्षित कर सत्ता हासिल की थी। आम आदमी पार्टी को डर है कि कांग्रेस का पारंपरिक वोट वापस कांग्रेस में शिफ्ट ना हो जाए, क्योंकि कांग्रेस ने देश में संविधान बचाओ आरक्षण बचाओ का अभियान चला रखा है जिसका फायदा कांग्रेस को गत लोकसभा चुनाव में भी मिला था।
भाजपा के रणनीतिकार चाहते हैं कि कांग्रेस मजबूती के साथ चुनाव लड़े। इसका फायदा भाजपा को चुनाव में और चुनाव के बाद यदि कांग्रेस को अधिक विधानसभा सीट जीतने को मिली तो होगा। यदि दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ और परिणाम भी त्रिशंकु सरकार बनने के आए तो ऐसे में भाजपा अपनी सरकार बनाने में सफल हो सकती है। देश के सामने अनेक ऐसे उदाहरण हैं जब भाजपा ने बहुमत नहीं मिलने के बाद भी जोड़-तोड़कर अपनी सरकार बनाई इसीलिए भाजपा के रणनीतिकार चाहते हैं कि दिल्ली में कांग्रेस आम आदमी पार्टी को मजबूत टक्कर देकर अधिक से अधिक सीट जीते।
दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी के आरक्षण बचाओ संविधान बचाओ अभियान पर है। क्या दिल्ली में कांग्रेस का यह अभियान अपने पारंपरिक मतदाताओं को वापस अपनी ओर आकर्षित कर सकेगा। इस पर सभी की नजर है। कांग्रेस के मजबूती के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव में खड़े रहने से आम आदमी पार्टी को नुकसान नहीं बल्कि फायदा ही होगा। यदि कांग्रेस मजबूती के साथ चुनाव नहीं लड़ती है तो सीधी टक्कर में आम आदमी पार्टी को भारतीय जनता पार्टी बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। अपनी सरकार भी बन। सकती है क्योंकि ऐसे अनेक उदाहरण हैं जब भारतीय जनता पार्टी ने हारी हुई बाजी को जीत कर अपनी सरकार बनाई है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)