
-देवेंद्र यादव-

राजनीति में कोई स्थाई शत्रु और मित्र नहीं होता। यह कहावत आजकल बिहार की राजनीति पर स्पष्ट नजर आ रही है। हाल ही तक एक दूजे को कोसने वाले ही अब आपस में गलबहियां डाले नजर आ रहे हैं। बिहार में इन दिनों जारी राजनीतिक उठा पटक को लेकर राजनीतिक और सोशल मीडिया के गलियारों में नए-नए किस्से सुनने को मिल रहे हैं। विधानसभा जैसे जैसे नजदीक आते जा रहे हैं बिहार की मौजूदा राजनीति किस तरफ जाएगी, कहना अभी मुश्किल है। मगर बिहार से दो बड़ी राजनीतिक तस्वीर गत दिनों निकल कर सामने आई। उन तस्वीरों पर ना तो राजनीतिक पंडितों ने और ना ही राजनीतिक विश्लेषकों ने गंभीरता से विचार किया और ना ही विश्लेषण किया। बस इतना ही समझा और कहा कि बिहार के नवनियुक्त राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से मिलने उनके घर गए। लालू प्रसाद यादव के पुत्र और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। जहां उनके कंधे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाथ रखा। लेकिन सवाल उठता है कि क्या दोनों बड़ी राजनीतिक तस्वीरों में भविष्य में बिहार के अंदर क्या राजनीतिक उठा पटक होगी उसका रहस्य छिपा हुआ है। एक ऐसा राजनीतिक रहस्य जिसकी कल्पना कभी राजनीतिक पंडितों और विश्लेषकों ने नहीं की होगी। यह सभी को चौका देने वाला राजनीतिक रहस्य होगा।
इस रहस्य को समझने और जानने के लिए 1990 को याद करना होगा। तब भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से लालू प्रसाद यादवपहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने।
अब बिहार में मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे तेजस्वी यादव दिखाई दे रहे हैं, जो विगत चुनाव में अपनी सरकार बनाने से चूक गए थे। नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बन गए। अब बिहार के चुनाव इसी साल के अंत में होने हैं ऐसे में क्या गारंटी है कि राज्य में आरजेडी अपना पिछला प्रदर्शन दोहरा पाए क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने अपनी दम पर सरकार बनाने की लगभग ताल ठोक दी है। सवाल यह है कि क्या आरिफ मोहम्मद लालू प्रसाद यादव के घर नव वर्ष की शुभकामनाएं और पूर्व मुख्यमंत्री रावड़ी देवी को जन्मदिन की बधाई देने पहुंचे थे या फिर महाराष्ट्र की तरह एकनाथ शिंदे की तर्ज पर, लालू प्रसाद यादव परिवार को कोई बड़ा ऑफर देने पहुंचे थे। शायद यही एक बड़ा रहस्य है जिसका खुलासा होना बाकी है।
शायद इस रहस्य को नीतीश कुमार समझ गए हैं और इसीलिए राज्यपाल के शपथ ग्रहण समारोह में नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव की पीठ पर हाथ रखा और इशारों में बताया कि यूं ही नहीं मैंने 9 बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
नीतीश कुमार को लालू प्रसाद ने अपना समर्थन देने की बात कर दी मगर तेजस्वी यादव अभी भी समर्थन को लेकर अड़े हुए हैं। तेजस्वी यादव शायद मुख्यमंत्री से नीचे का पद अब लेना नहीं चाहते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)