
-देवेंद्र यादव-

जहां 2024 के लोकसभा चुनाव में 99 सीट जीतने के बाद कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की राजनीतिक ताकत बढी तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत से कम 240 सीट जीती। इस कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक ताकत घटी क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने देश का आम चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और नाम पर लड़ा था।
इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 99 और इंडिया गठबंधन को 234 सीट मिलने के बाद सवाल खड़ा होता है, कि क्या कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं ने राहुल गांधी को पहचानने और समझने में बहुत देरी की। यदि कांग्रेस और विपक्ष के नेता राहुल गांधी को समझ जाते तो, 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में नहीं आती।
क्योंकि राहुल गांधी ने जो मुद्दे सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ 2024 के लोकसभा चुनाव में जनता के बीच खड़े किए थे, अमूमन वही मुद्दे राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले और चुनाव के दरमियान जनता के बीच उठा रहे थे।
राहुल गांधी 2019 में नोटबंदी, जीएसटी, बेरोजगारी और राफेल के मुद्दे को जोर- शोर से उठा रहे थे, मगर उस समय राहुल गांधी की आवाज में आवाज मिलाने के लिए ना तो कांग्रेस के बड़े नेता और ना ही विपक्ष के नेता खड़े दिखाई दिए, बल्कि अकेले राहुल गांधी भारतीय जनता पार्टी सरकार के खिलाफ जनता के बीच संघर्ष करते हुए दिखाई दिए।
नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस ने 2019 के चुनाव में अपनी 44 सीटों को बढाकर, 50 के पार पहुंचाया। 2019 में राहुल गांधी की बात में दम नहीं होता तो कांग्रेस को उस चुनाव में 44 सीटों से बढ़कर 52 सीट नहीं मिलती बल्कि कांग्रेस की सीट घटती।
2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को कांग्रेस के बड़े नेताओं और विपक्ष के नेताओं का साथ नहीं मिला इसके बावजूद कांग्रेस अकेले राहुल गांधी के दम पर 52 सीट जीती।
और 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को कांग्रेस के बड़े नेताओं और विपक्ष का साथ मिला तो कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को 240 सीटों पर रोक दिया।
कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं का 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को इसलिए साथ मिला क्योंकि राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाल कर अपनी राजनीतिक ताकत और दम दिखाया।
राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भी भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वही मुद्दे उठाए जो मुद्दे उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में उठाए थे।
दोनों यात्राओं में देश भर में राहुल गांधी को युवाओं, महिलाओं, आदिवासी, दलित और मुस्लिम वर्ग के लोगों का जबरदस्त समर्थन मिला।
जनता के समर्थन ने राहुल गांधी को मजबूत और ताकतवर नेता के रूप में पेश किया, और इसकी बदौलत कांग्रेस और विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अगुवाई में एकजुट नजर आए। परिणाम यह हुआ कि, देश से मोदी मोदी और मोदी है तो मुमकिन है का नारा गुम हो गया, और भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई के बावजूद लोकसभा में बहुमत का आंकड़ा भी पूरा नहीं कर पाई और 240 सीटों पर अटक गई।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं