
-देवेंद्र यादव-

दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार छोड़कर 27 जनवरी को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली महू में क्यों जुटी कांग्रेस। इस पर सवाल उठने लगे। सवाल यह भी उठा कि राहुल गांधी बीमार थे और डॉक्टरों ने उन्हें विश्राम करने की सलाह दे रखी थी मगर राहुल गांधी दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार करने की जगह, बाबा साहब अंबेडकर की जन्मस्थली मऊ क्यों गए और उन्होंने वहां कार्यकर्ताओं और जनता की विशाल भीड को संबोधित किया। लगता है राहुल गांधी बीमार नहीं थे। बीमार थे कांग्रेस के नेता और रेस्ट राहुल गांधी नहीं बल्कि रेस्ट कर रहे थे कांग्रेस के छत्रप। शायद इसीलिए उन नेताओं को विश्राम से उठाकर बीमारी की दवाई देने के लिए राहुल गांधी बाबा साहब अंबेडकर की जन्मस्थली मऊ लेकर गए। जहां राहुल गांधी ने कांग्रेस समर्थित जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सामने इशारों ही इशारों में आगाह किया कि वक्त है संभलने का संभल जाओ वरना बर्बाद हो जाओगे।
कांग्रेस के 84 वर्षीय राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की ट्यूनिंग एक समान थी। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि जिंदा रहना चाहते हो या मरना चाहते हो। यदि जिंदा रहना चाहते हो तो संघर्ष करो और सावरकर गोलवकर की नीतियों को छोड़कर कांग्रेस की नीतियों पर आओ तभी आप सुरक्षित और जिंदा रह पाओगे। मल्लिकार्जुन खरगे का इशारा शायद उन कांग्रेसी नेताओं पर था जिन पर कांग्रेस और जनता के बीच से आवाज सुनाई दे रही थी कि कांग्रेस के अनेक नेता भाजपा से मिले हुए हैं इसीलिए कांग्रेस खत्म और बर्बाद हो रही है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी लंबे समय से घर के अंदर उन नेताओं को समझा भी रहे थे मगर नेताओं में सुधार देखने को नहीं मिल रहा था। बार-बार कांग्रेस कार्यकर्ताओं और जनता के बीच से राहुल गांधी और कांग्रेस हाई कमान के पास संदेश जा रहा था कि जब तक राहुल गांधी और कांग्रेस हाई कमान कांग्रेस के स्लीपर सेलों को बाहर नहीं करेंगे या उनका इलाज नहीं करेंगे कांग्रेस ऐसे ही चुनाव हारती रहेगी। शायद इसीलिए राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने तमाम नेताओं को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली मऊ में कार्यकर्ताओं और जनता के बीच एकत्रित किया। उन्होंने जनता और कार्यकर्ताओं के बीच खड़े होकर कहा कि जीना चाहते हो या मरना चाहते हो। जीना चाहते हो तो सावरकर आरएसएस की नीतियों को छोड़ो और संघर्ष करो।
मऊ में कांग्रेस ने जय बापू जय भीम और जय संविधान के मिशन का शुभारंभ किया। मिशन के शुभारंभ होने से चंद घंटे पहले मैंने अपने ब्लॉग में लिखा था कि जब तक अभियान को कांग्रेस के नेता जन-जन तक नहीं पहुंचाएंगे तब तक इस अभियान का कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होगा। इस अभियान का भी हश्र वैसा ही होगा जैसे राहुल गांधी कि भारत जोड़ो यात्रा का हुआ। क्योंकि राहुल गांधी के जाने के बाद नेता आराम से सो जाते हैं और जनता भूल जाती है। जनता को याद दिलाने के लिए जरूरी है नेताओं का एक्टिव होना। राहुल गांधी ने मऊ में अपने भाषण के अंत में यही कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं को जय बापू जय भीम और जय संविधान के अभियान को जन-जन तक पहुंचाना है। इस कार्य में सभी को जुट जाना है। तब तक जुटे रहना है जब तक हम लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लेते।
मऊ में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के चेहरे पर स्पष्ट दिखा वह कांग्रेस के छत्रपों की राजनीति से खुश नहीं है और शायद उन्होंने उन नेताओं को अंतिम बार समझाने का प्रयास किया है। इस प्रयास में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे कितने सफल होते हैं इसका इंतजार रहेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)