
-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। राजस्थान में कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व में कैबिनेट मंत्री रहे भरत सिंह कुंदनपुर राजस्थान विधानसभा के इस सत्र का बहिष्कार करेंगे। श्री भरत सिंह ने पिछले विधानसभा क्षेत्र में भी भाग नहीं लिया था, लेकिन उस समय उन्होंने इस बारे में आधिकारिक तौर पर कोई घोषणा नहीं की थी लेकिन इस बार उन्होंने विधानसभा सत्र का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। श्री भरत सिंह ने कहा कि जब विधानसभा में उनकी बात को कोई तवज्जो ही नहीं दी जाती तो वह विधानसभा में जाकर क्या करेंगे? रहा सवाल अपनी बात को मजबूती से प्रशासन और सरकार के सामने रखने का तो विधानसभा एक जरिया है लेकिन अौर भी ऐसे बहुत से सशक्त मंच मौजूद हैं जहां से अपनी बात को पुरजोर तरीके से सरकार-प्रशासन और जनता के बीच पहुंचाया जा सकता है। श्री भरत सिंह ने कहा कि वे लगातार इस बात को महसूस करते आ रहे हैं कि सत्ता पक्ष में रहते हुए भी विधानसभा में उनकी बातों को अनसुना किया जा रहा है। वहां वे जनता से जुड़े मुद्दों को बेहतर ढंग से रखते हुये भी उस पर कार्यवाही करवा पाने में सफल नहीं हो पा रहा है तो बाहर रह कर ही दूसरे तरीकों से अपनी बात रखेंगे। हालांकि यह भी कहा कि उन्होंने सदन में वही मसले उठाए हैं जो जनता से जुड़े हैं लेकिन उनकी लगातार उपेक्षा की गई इसीलिए विधानसभा में नहीं जाकर उसका बहिष्कार करेंगे। हालांकि उन्होंने माना कि विधानसभा एक बड़ा मंच है जहां विधायक सशक्त तरीके से जनता की बात को सरकार के समक्ष रख सकता है लेकिन यदि ऐसे किसी मंच पर जब बात ही नहीं सुनी जा रही तो उसी मंच का कोई महत्व नहीं रह जाता तो इन हालात में अन्य मंचों का सहारा लेना ही ठीक है।
श्री भरत सिंह ने कहा कि-” भ्रष्टाचार सहित प्रदेश भर में अवैध खनन को रोकने और बारां जिले के अंता क्षैत्र के खान की झौंपड़िया गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग के समर्थन में बारां में 23 जनवरी का दिन भी इसीलिए चुना है क्योंकि इस दिन से राजस्थान विधानसभा का नया सत्र शुरू होने वाला है। इस दिन मेैं विधानसभा में नहीं जाकर बारां में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने वाला हूं लेकिन यह प्रदर्शन सरकार के खिलाफ नहीं है बल्कि मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य नीति के समर्थन मगर यह प्रदर्शन पूरी तरह से भ्रष्ट मंत्री के विरोध में है।
मेरी यह लगातार मांग रही है कि खान के झोपड़ियां गांव को कोटा जिले में शामिल किया जाए।” उन्होंने कहा कि इस बारे में वे विधानसभा में भी मांग कर चुके हैं लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। मुख्यमंत्री सहित कोटा और बारां जिलों के प्रभारी मंत्रियों सहित मुख्य सचिव को इस से अवगत करवा चुके हैं। खान की झोपड़िया गांव को कोटा जिले की सीमा में शामिल किया जाए क्योंकि बारां जिले के गठन के समय सीमांकन में हुई एक त्रुटि की वजह से यह गांव कोटा की जगह बारां जिले में शामिल कर लिया गया था और अब वहां एक भी वैध खान नहीं होने के बावजूद खनन माफिया व्यापक पैमाने पर खनन करके न केवल जमीन को बर्बाद कर रहे है बल्कि राजकीय कोष को भी गंभीर आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं और चूंकि इस अवैध खनन और इसमें लिप्त खनन माफिया को बारां से राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है जिसे समाप्त करने और अवैध खनन रोकने के लिए यह आवश्यक है कि खान की झोपड़िया गांव को कोटा जिले में शामिल किया जाए। प्रशासनिक जांच में भी पूर्व में यह माना जा चुका है कि एक गलती की वजह से यह गांव बारां जिले में शामिल कर लिया गया था जबकि नैसर्गिक रूप से यह गांव कोटा जिले का हिस्सा होना चाहिए।
श्री भरत सिंह ने कहा कि यह सही है कि उनके लगातार खान के झोपड़िया सहित बारां जिले में विभिन्न स्थानों पर अवैध खनन का मसला लगातार उठाए जाने अौर 23 जनवरी को बारां जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन की घोषणा के चलते इन दिनों वहां अवैध खनन का काम रुका पड़ा है लेकिन इस पर संतोष किया नहीं जा सकता क्योंकि यह खनन माफियाओं की अस्थाई व्यवस्था है व इस मसले के गरमाये जाने के कारण अभी अवैध खनन को बंद किया हुआ लेकिन यह व्यवस्था टिकाऊ नहीं है, जल्दी ही वे वापस अवैध खनन में जुट जाएंगे इसलिए वे शांत बैठने वाले नहीं है और इसके खिलाफ विधानसभा के बाहर और जनता के बीच में रहकर लगातार इस मसले को उठाते रहेंगे।
श्री भरत सिंह ने कहा कि उनके लिए यह परीक्षा की घड़ी है। बारां से लेकर भरतपुर तक पहाड़ों को काटकर समतल कर देने वाले खनन माफियाओं के खिलाफ लगातार सक्रिय रहने के बावजूद उनकी बातों को नहीं मानकर सरकार और प्रशासन उनकी परीक्षा ले रहा है और वे इससे पीछे हटने वाले नहीं है। उन्होनें ठाना है कि वह इस भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए कृत संकल्पित है तथा वे इस मसले पर अपनी बात सरकार और प्रशासन के समक्ष रखने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहेंगे और निश्चित रूप से इसमें उन्हें जनता का भरपूर सहयोग मिल रहा है।
उनके इस अभियान में शामिल होने के लिए सभी लोगों के लिए द्वार खुले हैं और लोग निश्चित रूप से जुड़ भी रहा है
जो कि एक सकारात्मक बात है और वे इसका स्वागत करते है। श्री भरत सिंह ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता से जुड़े मसलों को उठाना और उन्हें मनवाने के लिए आंदोलन करना एक लोकतांत्रिक अधिकार है और वे इसी अधिकार के तहत अवैध खनन माफियाओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। सरकारी स्तर पर इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करके सरकार ही जनता को आंदोलन करने के लिए एक उकसा रही है।
राजस्थान में खनन माफियाओं की मजबूत लाबी है. यह स्थानीय प्रशासन,पुलिस से भी टकराते रहते हैं और बेखौफ खनन को अंजाम दे रहे हैं. भरत सिंह जी के आरोप राज्य के खान मंत्री के खिलाफ हैं ऐसे में सरकार कटघरे में खड़ी नजर आती है. राज्य सरकार के मुखिया को , पार्टी विधायक की आवाज सुननी चाहिए और नीर तीर विवेक से समस्या का समाधान किया जाना चाहिए